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चौलुक्य चन्द्रिका]
१७२ प्रशस्ति के श्लोक १२-१३ मे कृष्णदेव के दुर्गुणों का विस्तार क साथ वर्णन है । एवं श्लोक १४ क पूर्वाध मे उसके बसन्तपुर से निकाले जाने का वर्णन किया गया है । पूर्व कथित १२-१३ मे यद्यपि उसके दूर्गुणों का वर्णन विस्तार के साथ किया गया है परन्तु वसन्तपुर से निकाले जाने बाद वह कहां गया और उसका क्या हुआ कुछ भी नहीं प्रकट होता। हां सुरत जिला के चिखली तालुका की धोलधारा नदी के तट पर वारोलिया नामक ग्राम मे पुराणी शिला मतियां है। उनके लेखों से प्रकट होता है कि मंगलपुरी के चौलुक्य वंश में कृश्णराज नामक
ई राजा हुआ था ! उसके वंशज कृष्णराज द्वितीय संवत १३६१ और १३७३ विक्रम के मध्य गलपुरी में राज्य करता था । और उसका छोटाभाई धवलनगरी का शासक था। इन लेखों में कृष्णराज प्रथम से लेकर कृष्णराज द्वितीय पर्यम्त पांच नाम पाये जाते हैं । इन लेखों को हम पूर्व में उधृत कर चुके हैं । और उनके विवेचन में कृष्णराज प्रथम के समय तथा वसन्तपुर के साथ उसका कुछ सम्बन्ध था या नहीं इस प्रश्नका भी उत्थान करके समाधान किये हैं। परन्तु वसन्तपुर के साथ उसके सम्बन्धका व्यापक प्रमाणाभावके कारण इस प्रश्नको ज्योंका त्यों छोड़ केवल समय निर्धारण करके ही संतोष करना पड़ा था । परन्तु प्रस्तुत प्रशस्ति में वीरदेव के पुत्रों की संख्या दो बताई गई है। जिनमें प्रथम का नाम मूलदेव और दूसरे का नाम कृष्णदेव बताया गया है। कृष्ण अपनी उदण्डता और बंधु द्रोह के कारण पिताका अप्रिय भाजन बन वसन्तपुर से निकाला गया था । मंगलपुरी वाले कृष्ण प्रथम का समय कुम्भदेव के लेखों के विवेचन में संवन १२७१ सिद्ध कर चुके हैं । यह समय हमने अनुमान के सहारे किया था इधर प्रशस्ति कथित कृष्ण के पिता वीरदेव का समय किक्रम १२७६ सिद्ध होता है । ऐसी दशा म मंगलपुरी वाले कृष्ण को वसन्तपुर के वीरदेव का पुत्र कृष्ण हम नहीं मान सकते। ऐसा यदि हम कहे तो असंगत न होगा । परन्तु ऐसा हम नहीं कह सकते। क्योंकि वीरदेव का समय १२३५ से १२७६ है । अतः संभव है कि वीरदेव ने अपने द्वितीय पुत्र कृष्ण को मंगलपुरी का शासक बनाया हो । और जब उसे बंधु द्रोह के कारण वीरदेव ने देशनिकाला का दण्ड दिया हो तो वह स्वयं अथवा उसका पुत्र मंगलपुरी को अधिकृत कर स्वतंत्र बन गये हो ।
अब यदि कुष्ण के वंशज और उसके सामयिक मूलदेवके वंशजों की वंशश्रेणी में कुछ समता पाई जाय तो हमारी यह संभावना सिद्ध हो सकती है। अतः हम दोनो वंशावली को निम्न भाग में समानान्तर पर उधृत करते हैं। वासन्त पुर वंशावली
मंगलपुर वंशावली मूल देव
कृष्ण राज
कर्ण देव
उदय राज
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