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[ लाट वासुदेवपुर खण्ड और वेणी में कुछ भी अन्तर नहीं है। क्योंकि दोनों प्रयाय वाचक है। पारदा और मन्त्रीका के मध्य में बहने वाली वर्तमान कावेरी नदी है प्रशस्ति कथित करवेणा का अवस्थान निश्चित करने के पश्चात केवल प्रशस्ति कथित इवा नदी का अवस्थान निर्धारित करना शेष रह जाता है । बम्बई गझेटिअर वोल्युम १६ पृष्ट १८० के पाद टीपनी में इन नदियों का परिचय निम्न प्रकार से दिया गया है।
"And made Boat-Bridges accross the Eva (Ambica) Parda (Par) Daman (The Daman River ) Tapi (Tapti ) Karvena ( Perhaps the Kaveri) a tributary of the Ambika, apparently the same as the Kalvoni accross which the Anhilwada General Ambad had to make a bridge or causeway in leading his army against Mallikarjun the Shilhara King of Kokan"
उधृत वाक्यक अवतरमसे स्पष्टतया हमारे पूर्व कथित सिद्धान्त का समर्थन होता है। अन्तर केवल इतना ही है कि हम प्रशस्तिकथित इवा नदी का अवस्थान निश्चित करनेमें असमर्थ है कि कावेरी और तापी के मध्य में बहनेवाली अम्बीका-पूर्णा और मीढोला नदियों में से किसी के साथ इवाकी नाम साम्यताका लवलेश मात्र भी नही पायाजाता ! और न उनका परिवर्तित रुपही सुगमता के साथ इत्रा बन सकता है। हां यदि भम्बीका के स्थान में हम पूर्णाको थोड़ी देर के लिये इवा मान लेबे तो इसके इवा बनाने की कुछ संभावना है । परन्तु पूर्णाका रुपान्तर इवा खिचखाच तोड़ मरोड तथा परिवर्तन नीति की सर्वथा उपेक्षा करने के बाद ही सकता है।
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इवा
चाहे हमारी यह कल्पना मानी जाय या न मानी जाय परन्तु हम प्रशस्ति कवित इवा को कदापि अविका नहीं मान सकते । क्योंकि अम्बिका का इवा कदापि नहीं बन सकता ।
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