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[ चौलुक्य चन्द्रिका सबसे प्रथम सुरक्षित आश्रय प्राप्त करने की इच्छा होती हैं। और वह अपने उस निश्चित सुरक्षित अवस्थान में जानेका प्रयत्न करता है। प्रस्तुत लेखसे यह सिद्ध है कि मंगलपुरी ताप्ती नदीके समीपमें थी । युद्ध स्थल से मंगलपुरी सीधे उत्तर पश्चिम दिशा में अवस्थित है। और लगभग २५० मील है। यदि युद्धस्थलसे सीधे मंगलपुरी के तरफ देखा जाय तो लगभग आधा मार्ग विक्रम के अपने राज्य होकर और चतुर्थांश भाग उसके श्वसुर करहाटके शिल्हारोंके राज्य होकर पडता था और शेष मार्ग जयसिंह के मित्र थाणा के शिल्हाराके राज्यान्तर्गत था। अतः लगभग १६० मील मार्ग जयसिंहके शत्रुओं से भरा हुआ था । हमारी समझमें नहीं आता कि भागनेवाला व्यक्ति अथवा उसका कोई संबंधी इस प्रकार शत्रु परिपूर्ण मार्ग से आश्रय पाने के लिये जा सकता है । भागनेवालो को चाहे कुछ चक्कर लगाकर जाना पडे परन्तु वह सीधे मार्गसे कमी न जायगा।
हम ऊपर बता चुके हैं कि बेंगीका साम्राज्य युद्धस्थल से समीप था . वहां जाते. जयसिंह शत्रके आतंगसे विमुक्त हो सकता था। और वह अथवा उसका पुत्र बेंगी राज्य होकर विक्रमके राज्यके उत्तरीय सीमाका अतिक्रयण करते हुए उक्त मंगलपुरी पहुंच सकते थे । अतः हमारी समझ में जयसिंहका पुत्र विजयसिह बेंगी साम्राज्य होकर मंगलपुरी के प्रति अग्रसर हुआ होगा। संभवतः युद्ध से भागते हुए पिता पुत्रका साथ छुट गया होगा। और जयसिंह बैंगी साम्राज्यमें आश्रय पाशान्तिलाम करता होगा उस समय उसका नवयुवक पुत्र विक्रमके राज्यकी सीमाका अतिक्रमण करते हुए मंगलपुरी प्रदेशमें पहुंच गया होगा । क्योंकि उक्त जयसिंहके लाट उत्तर कोकण और दाइल विजयके पश्चात एक प्रकारसे उसके अधिकार मुक्त और चौलुक्य साम्राज्यके अन्तर्गत था। यही कारण है कि विजयसिंह अनायासही उक्त प्रदेश पर अधिकार कर सका था।
हमारी समझमें प्रस्तुत प्रशस्तिका सांगोपांग विवेचन हो चुका । अब यदि कुछ शेष रह गया है तो वह प्रशस्ति कथित प्रदत्तग्राम आदिका अवस्थान विचार करना मात्र है । अतः कथित ग्राम आदिका विचार करते हैं । विजयसिंहने विजयपुर में रहते समय शासन पत्र जारी किया था। दान देते समय उसने ताप्ती स्नान किया था। प्रदत्तग्राम वामनवलीकी पूर्व और दक्षिण सीमा पर ताप्ती नदी है।
अतः विजयसिंहके सह्याद्रि मण्डलवर्ती अधिकृत प्रदेशके श्रवस्थानका निर्णयका विजयपुर मण्डल और वामनवली ग्राम है । जिसके समीपमें ताप्ती वहती है । सह्याद्रि पर्वतमालाके उत्तरमें ताप्ती बहती है। और खंभात की खाड़ी में जाकर गिरती है। एवं सह्याद्रि से पूर्णा नामक नदी निकलती है और वह भी तापती से लगभग २५ मील दक्षिण खाडीसे मिलती है । पूर्णा और तापी के मध्य बरोदा राज्य के नवसारी प्रान्त के व्यारा नामक तालुका में पूर्णा तटपर मंगलीआ नामक एक ग्राम है। एवं इसी प्रान्त के सोनगढ़ तालुका में मंगलदेव नामक पुराना दुर्ग हैं।
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