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[प्राक्कथन लाट की नदियां।
दक्षिण गुजरातमें मही, ढाढर, ओरसंग, हेराण, विश्वामित्री, नर्मदा, शिवा, कीम, सेना, तापती, मिढोला, पूर्णा, अम्बिका और कावेरी नामक नदिया प्रधान हैं। इनमे मही, ढाढर, नर्मदा, कीम, तापती, पूर्णा, अम्बिका और कावेरी अन्यान्य छोटी मोटी नदी और नालाओका जल लेकर सीधे खंभातकी खाडीमे गीरती है। इनमे नर्मदा
और तापती भारतकी प्रसिद्ध नदीयोमे से है। इनका गुनगान पुराणादि मे पाया जाता है। इनके तटपर अनेक पुराण प्रसिद्ध देवालय तथा तीर्थक्षेत्र है। इनमे नर्मदा तटका भृगुक्षेत्र और शुक्लतीर्थ गणमान्य है। तापी तट के प्रसिद्ध तीर्थस्थान अश्वनिकुमार-तापी नदीके संगमपर गलतेश्वर-तापी गर्भका (माडवी से उपर) रामकुण्ड-वलाक क्षेत्र और अपरा काशी नामक स्थान है। मिढोलाका. अपरनाम मन्दाकिनी-और मदाव है। इसके उद्गम स्थानपर गोमुख, मध्यवर्ती वार्धवली (बारडोली) नामक स्थानमे केदारेश्वर और पलशाणामे कनकेश्वर मन्दिर है। पूर्णा नदीपर मधुकरपूर (महुआ) मे जैनियोका विघ्नेश्वर नामक प्रसिद्ध तीर्थस्थान और लाटके चौलुक्य वंशकी राज्यधानी नवसारिका (नवसारी) है। कावेरी तटपर अनावलमें शुक्लेश्वर महादेव (अनाविल ब्राह्मणोके कुलदेव) और वातापी कल्याणके वंशधर पुरातन वासन्तपुर-बासुदेवपूरके चौलुक्योकी राज्यधानी वासुदेवपुर का ध्वंशावशेष नवा नगर नामक स्थान और वांसदा नगर है।
हमारे विवेचनीय एतिहासीक कालके अन्तर्गत लाट प्रदेशमें शासन करनेवाले गुर्जर, चौलुक्य, राष्ट्रकुट, गोहिल, मुसलमान, मरहठा (पेश्वा-धमाडे-गायकवाड) और अंग्रेज राज्यवंशका समावेश होता है। इनमें गुर्जर जातिका अभ्युदय चौलुङ्गयोंसे पूर्वभावी है। अतएव हम सर्व प्रथम लाट प्रदेशमें गुर्जरोके अभ्युदय और पतन तथा अधिकार आदिका विचार करते हैं।
इन गुर्जरोका परिचायक इनका अपना सात ताम्र लेख है। कथित शासन पत्र इन्डीयन एन्टीक्वेरी वोल्युम ५ पृष्ठ १०६, वोल्युम ७ पृष्ठ ६१, वोल्युम १३ पृष्ठ ८१-६१
और ११५-११६ और वोल्युम १७ तथा एपिग्राफिका इन्डिका वोल्युम २ पृष्ठ १६, जो. रॉयल एतिआटिक सोसायटी वो. १ पृष्ठ २७४, जो. बम्बे रा. ए. वो १० पृष्ठ १६ मे प्रकाशित है। कथित शासन पत्रोका पर्यालोचन प्रकट करता है कि इनका अधिकार नर्मदा और मही नदीके
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