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चौलुक्य चंद्रिका :
चक्र
३.
कद्रण
पदा जादादा
उत्तर
belle
काम्भ
kh
एरथाण
शिवानदी सरसना मीठ
दक्षिण
शिवानदी और टकरया
आशा है वर्तमान सीमाचक और ध्रुव महोदय कथित सीमाचक्रकी तुलना से हमारे पाठकों को हमारी बातोंमें कुछभी शंका करनेको अवकाश न मिलेगा।
एवं हम देखते हैं कि ध्रुव महोदय ने संभवतः प्रशस्ति के ऊपर पूर्ण विचार भी नहीं किया है। क्योंकि वे एरथाण के दक्षिणमं शिवा नदीका होना प्रकट करते हैं । उनके इस कथनका वर्त मान एरथाणकी दक्षिण सीमा में अवस्थित शिवा नदीसे तारतम्यमी मिल जाता है। परन्तु चाहे उनकेकथनका वर्तमान एरथाण की दक्षिण सीमा पर अवस्थित शिवा नदी से तारतम्यमी मिल जाय तो भी उनके कथनको स्वीकार नहीं कर सकते। क्योंकि प्रशस्ति में शिवा नदी का उल्लेख नहीं । संभवतः ध्रुव महोदय ने प्रशस्ति के वाक्य " याम्यां लिङ्गवटः शिवः ” के शिव शब्दों को शिवा नदी मान लिया है। किन्तु यह उनकी भारी भूल है। क्योंकि यहांपर “लिङ्गवटः शिवः” वाक्य में शिवा नदी नहीं परन्तु शिवः पद है। इससे स्पष्ट है कि प्रशस्तिकार लिङ्गवट नामक शिवका उल्लेख करता है। पुनश्च उसे यदि शिवा नदी का संकेत करना होता तो "शिवः” न लिख “शिवा” लिखता ।
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