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चौलुक्य चंद्रिका ]
उसके बाहुबलमें कोपगुरु अर्थात भगवान शंकर का वास था अतः उसने संग्राममें धनुष्यकी प्रत्यंचाको वक्षःस्थल पर्यन्त खीच शत्रुओं के अभिमानी शीरका छेदन किया ॥२०॥
___ उसने भागते हुए शत्रुओं के पृष्ट प्रदेशमे बाण मार उनका हितविंतन किया क्योंकि उसके ऐसा करने पर शत्रुगण कृतार्थ हो फिर गये । अर्थात जब उसने भागते शत्रुके पृष्ट प्रदेश पर बाणमारा तो वे व्याकुल हो .फर कर पीछे देखने लगे और जब बाणा घात के कारण उनकी मुत्यु हुई. तो रणक्षेत्रके प्रति मुख करनेके कारण रणमें सन्मुख मरनेका फल अर्थात स्वर्ग प्राप्त हुआ। अतः उनका हित साधन किया अर्थात उन्हेस्वर्ग दिलाया ॥ २१ ॥
उसकी जो अविचार कीर्ति नामक. दयिता थी वह उसके संग्राममे जातेही अचानक दुसरे अर्थात शत्रुओंके घर चली गई ॥ जब शत्रुओं ने वापस करना चाहा तो वह अपने प्रतापी पतिके नगरको लोटते समय भय विमल हो उन्मादिनी बन सप्तसागरमें प्रवेश कर गई । परन्तु डूबने के स्थान में परं पवित्र बन और देवताओं से वन्दित हो बाहर निकली ॥२२॥
उसका अर्थात कीर्तिराज का पुत्र सर्व गुण सागर तथा अत्यन्त शूर और युद्धरूप महार्णवका मन्थन करने वाला प्रसिद्ध मन्दर पर्वत समान हुआ ॥ २३ ॥
___यहां पर इस मूर्ति भवनमे बाल्य कालसे ही श्री कल्याण सम बन कर निवास करती है और शक्ति नवबधू के समान जहां पर अपने प्रिय के साथ आनन्द वर्धन करती हुई क्रीडा करती है। एवं वीरता अपने पतिके मनोभावको जानकर उसे विशेष रूपसे प्राप्त करती है और वत्सराज को विष्णु समान मान लक्ष्मी सापत्नी दाहको छोड निवास करती है ॥ २४॥
सारा संसार एक वस्त्रा से ढांका नहीं जासकता ऐसा मान किसी एक कोणा अर्थात स्थान का आश्रय लेना आवश्यक मान उसका आश्रय लिया तो उसने (वत्सराज) कीर्तिपटसे आच्छादन किया ॥२५॥
वत्सराज ने सोमनाथ महादेवको रत्नजडित सुवर्ण छत्र चढाया और दिन जनों के लिये एक अन्न सत्र बनाया ॥२७॥
__वत्सराज का पुत्र त्रिलोचनपाल हुआ जो कलियुग में पाण्डवों के समान लाट देशका भोग करने वाला हुआ ॥२८॥
त्रिलोचनपाल सत्यवादितामें युधिष्ठिर-नाश करने में वक्र और शौर्य में कृष्ण के समान है। जिसके बाण त्यागने अर्थात सन्धान करने पर भी धर्मा धर्म विवेचन करने लगते हैं ॥२६॥
. त्रिलोचनपालके वृद्ध शत्रुगण अत्यन्त भ्रममे पड़ गये थे। क्योंकि उसके मुखपर आनन्द चित्रित था कारण कि वह (गिलोचनपाल) आनन्द देने वाला था॥३०॥
रणक्षेत्र के भुषण रूप उसके शत्रुका शिर जब उसकी तलवारसे कट कर भूमि में गिर पडा और तो उनके शरीर निश्रित रुधिर प्रवाहसे प्रवाहित शरीर रक्त प्लावित हो चमक
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