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[ लाट नवसारिका खण्ड ११ र सामान्य मावाजसनेय काण्वाध्वर्यु सब्रह्मचारिणां माता पित्रो
रात्मनश्च पुण्य यशोभिवृद्धये वैशाख पौर्णमास्या मुदकाति १२ सर्गेण प्रतिपादितः ॥ भारद्वाज सगोत्राय रवि देवाय पत्तिके द्वे
इन्द्रसूराय पत्तिका ताथीसुराय दिवर्षपत्तिका इश्वरस्या पत्तिका १३ दामाय पत्तिका द्रोणाया पत्तिका अर्त स्वामिने sधं पशिका
मैलायाधं पत्तिका षष्ठि देवायाध पत्तिका सोमाया पत्तिका
राम शर्मणेs १४ ध पत्तिका मायायाध पत्तिका द्रोणधराया पतिका धूमायण
सगोत्र आणुकाय द्विवर्ष पतिका सूरायाध पस्तिका ॥ दण्डकीय १५ सगोत्र भो पत्रिका समुद्राय दिवध पत्तिका द्रोणाय पतिका
श्रयं तावीशमणे पति के द्वे भहिनेऽर्ध पत्तिका वत्राय पस्तिका १६ द्रोण शर्मणे पत्तिका द्वितीय द्रोण शर्मणेऽधं पतिका । काश्यपस
गांत्र वप्प स्वामिने त्रिनः पचिकाःदुर्गशर्मणेऽर्ध पत्तिका वस्तायों १७ ई पतिका कौण्डीन सगोत्र पापाया---वर्ष पपिका सेलाय
पतिका द्रोणाय पतिका सोमाया पत्तिका सेजाया पत्रिका १८ बलशर्मणेऽर्ध पत्तिका मायिखामिनेऽर्ध परिका मारसगोत्र
विशाखाय पत्तिकाधराय पतिका नान्दने पत्तिका कुमाराय पतिका रामाय पत्रिका व अयस्यार्ध पत्तिका गणायार्थ पतिका कोर्दुबाया
पत्तिका मायिव भहायाध पत्तिका शर्मण पतिका राम शर्मणेऽर्ध २. पतिका हारित सगोत्रधर्म धराय विवर्ष पत्तिका ।। वैष्णव सगोत्र
भष्टिने पतिका गौतम सगोत्र धाराया पत्तिका प्रमधरा २१ या पचिका सेलायार्ष पचिका ॥ शाण्डिल गोत्र दामाया
परितका लक्ष्मण सगोत्र काकस्य पस्तिका
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