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[ लाट नवसारिका खण्ड विक्रम ७८४ और हिजरी १२५=विक्रम ८०४ के हैं। परन्तु हिजरी और विक्रम संवत्के मध्य में प्रत्येक तीसरे वर्ष एक महीनेका अन्तर पड़ता है । अतः हिजरी सन १०५ और १२५ को विक्रम बनानेके लिये पूर्व कथित ७८४ और ८०४ में से ३ और ४ वर्ष घटाने पड़ेंगे । इस प्रकार हिजरी १०५ विक्रम ७८१ और हिजरी १२५ विक्रम ८०० के बराबर हैं। अन्यान्य ऐतिहासिक घटनाओंपर दृष्टिपात करनेसे प्रकट होता है कि जुनेदको हिजरी सन १२० में पुलकेशी द्वारा पराभूत होना पड़ा था। अर्थात् यह घटना खलीफा हस्सामके राज्यके १५ वें वर्षकी है। अतः जुनेदका उक्त पराभव काल हिजरी १२० तदनुसार ७६६ विक्रम है।
प्रस्तुत शासनपाकी तिथि कार्तिक शुद्ध १५:४६० है । यह मानी हुई बात है कि पुलकेशीने अपनी विजयके उपलक्षमें इस शासनपत्रको शासनीभूत किया था। यदि यह बात ऐसी न होती तो उक्त विजयका उल्लेख इसमें न होता । मुसलमान इतिहाससे उसके
आक्रमणका समय हम पूर्वमें विक्रम संवत् ७६६ सिद्ध कर चुके हैं । अतः इस शासन पत्रका समय ४६० विक्रम संवत् ७६५ के बराबर है । इस प्रकार दोनों सवतोंका अन्तर ३०६ वर्ष प्राप्त होता है ।
हमारी समझमें इस अज्ञात संवत्सरका सांगोपांग विचार हो चुका । और साथ ही जयसिंह वर्माके पुत्र युवराज शिलादित्यके दोनों शासनपत्रों के संवत् ४२१ और ४४३ का निश्चित समय शाके ५६२ और ६१४ तथा विक्रम ७२७ और ७४६, मंगलराजके लेख शाके ६५३ और विक्रम ७८८, और पुलकेशीके लेखका अज्ञात संवत् ४६० शाके ५६१ और विक्रम ७६६ है।
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