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[ gee ] किसी तरह पूर्वोक्त पाठका समर्थन करोगे। परनुसत्तर दिनमें चौमासी प्रतिक्रमण करना चाहिये ). __ ऊपरके लेखकी समीक्षा करके पाठक वर्गको दिखाताहूं कि-हे सज्जन पुरुषो मातवे महाशयजोका ऊपरके लेखको मैं देखताहूं तो मेरेकोबड़ेही खेद केसाथ आश्चर्या उत्पन्न होता है कि, सातवें महाशय श्रोधर्मविजयजीने शास्त्रविशारदजैनाचार्यकी पदवी कोधारणकरी है परंतुअपनेकदाग्रहके कल्पित पक्षकीबातको मायावृत्तिसे स्थापित करके बालजीवोंको श्रीजिनाजासैभ्रष्टकरने के लिये उन्होंमें अभिनेवेशिक मिथ्यात्वका बहुतही संग्रहहोनेसे उसपदवीको सार्थक न करसके परन्तु शास्त्रविराधक उत्सूत्रभाषणाचार्यकी पदवीके गुण तो (सातवें महाशयजीमें) प्रगट दिखते है क्योंकि देखो सातवें महाभयजीने मास वृद्धि दो श्रावण होतेभी भाद्रपद में पर्युषणा स्थापन करने के लिये पर्युषणाकल्पचूर्णिका और महानिशीथके दशवे उद्देशकी चूर्णिका पाठ लिख दिखाया परंतु शास्त्रकार महाराजोके विरुद्धार्थमें अधूरी बात भोले जीवोंको दिखानेसे संसारवृद्धिका कुछभी भय हृदयौनलाये मालूम होता है क्योंकि प्रथमतो महानिशीथकी चूर्णिका नाम लिखा सोतो उपयोग शून्यताके कारणसे मिथ्या है क्योंकि महानिशीथकी चूर्णि नहीं किंतु निशीथसूत्रकी चूर्णि है और पर्युषणाकल्प चर्णिमें तथा निशीथसूत्रकीचूर्णिमें खास पर्युषणाकेही संबंधकी व्याख्या में अधिक मासको गिनती में प्रमाण किया है और मास वृद्धि होनेसे अभिवर्द्धित संवत्सरमें वीस दिने पर्युषणाकही है तैसेही मास वृद्धिके अभावसे चंद्र संवत्सर, १० दिने पर्युषणा कही है और पञ्चक परिहासीका कालमें
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