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सतमः७]
भाषाटीकासमेतम्। उससे (रति ) क्रीडाकी वृद्धि देताहै, राजाकी सभामें चतुरताः निर्मलयश और श्रेष्ठ पशु घोडे आदियोंकाभी परमसौख्य निश्चय करके देताहै ॥४१॥
स्वनफायोगफलम् । भुजबलेन रमापरमालयं जनिमतां गारमा स्वनफा यदा ॥ अबलयाऽमलया नवयानभूविभुतयाद्धतया परमं सुखम् ॥ ४२ ॥
स्वनफायोग यदि जन्ममें हो तो उसके बाहुबलसे (परम) श्रेष्ठ लक्ष्मी घरमें रहै, (गुरुता) बडप्पन मिले तथा सुन्दरनिर्मल नवयौवना स्त्री, नई सवारी और पृथ्वी इनका अद्भुत सुख मिले ॥१२॥
दुरुधरायोगफलम्। दुरुधरा बहुधा वसुधावसवजसुवारणवाजिसुखं नृणाम्॥ वितनुते नृपतेरतुलं यशो गुणकलापपटुत्वमिहाद्धतम् ॥ ४३॥ जिन मनुष्योंका दुरुधरायोग हो उनको( पृथ्वी) जमीन, धनके समूह, उत्तम हाथी, घोडे आदिका सुख होवे, राजासे अतुल यश मिले, अनेक गुणोंके समूहसे अद्भुत चतुरता मिले॥ १३॥
.. केमद्रुमयोगः। न धने न व्यये खेटाश्चन्द्रादिह भवन्ति चेत् ॥ वदा केमद्रुमं प्राहुः पंडिता मिहिरादयः ॥ ४४ ॥
यदि चंद्रमासे दूसरे वा व्ययभावमें कोईभी ग्रह न हो तो उसको मिहिराचार्य आदि पंडित केमद्रुमयोग कहते हैं ॥ १४ ॥ । केमद्रुमे सुरपतेरपि नन्दनोऽयं देशान्तरं व्रजति पुत्रकलत्रहीनः ॥ धर्मच्युतो विकलितो गदसंघभीतो नानाधितापसहिवो महिवोषहीनः ॥ १५॥
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