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अचौर्य अणुव्रत ७-एक प्रकारकी वस्तु दिखा कर दूसरे प्रकारकी वस्तु न देना ।
व्यापारी वर्ग मिलावटमें भी अधिक आगे बढ़ गया है। वह सोचता है मिलावटमें आधी वस्तु तो सच्ची चली ही जाती है, वह भी क्यों ? इसलिये दूसरा रास्ता अपनाया गया। दिखाना कुछ और देना कुछ, दिखाया पीपरमेण्ट दिया सोरा, ऐसी भी घटनायें सुनी हैं। और भी सम्भव उपाय इसमें अछूते नहीं रखे जाते। यह घृणित प्रवृत्ति अणुव्रती के लिये सर्वथा वर्जित है।
स्पष्टीकरण 'दूसरे प्रकारकी वस्तु' का तात्पर्य विजातीय वस्तुसे है, एक ही वस्तु के सामान्य विशेष आदि प्रकारोंके विषयमें नियम लागू नहीं है।
८-अच्छे मालको बट्टा काटनेकी नीयतसे खराब या दागी न ठहराना।
बट्टा काटनेके लिये मालको खराब कर देना या खराब या दागी ठहरा देना भी अवैध और अनैतिकताका सूचक है। माल जितना खराब व दागी है उसके लिये बट्टा काटनेकी मांग करना दूसरी बात है। अणुव्रती अतिरिक्त लाभ उठाने व निरर्थक झगड़ा खड़ा करनेसे सदैव बचता रहे।
ह--किसी संस्थाका ट्रस्टी या पदाधिकारी या कार्यकर्ता आदि होकर उसकी धनराशिका अपहरण या स्वार्थवश अपव्यय न करना।
संस्थाओंका युग है। आये दिन सार्वजनिक प्रयोजनके लिये एक-नएक संस्था खुलती रहती है। उत्तम-से-उत्तम व्यक्ति पदाधिकारत्वके लिये चुने जाते हैं, उनमें भी बहुतसे ऐसे निकल जाते हैं जिनका ध्येय पदाधिकारके साथ स्वार्थसिद्धि करना है। कुछ लोगोंका तो संस्थाओंकी पूंजीसे व्यक्तिगत लाभ उठानेका पेशा ही बन जाता है, कुछ पदाधिकारी अपने निजी व्यक्तियोंको लाभ उठानेका अवसर दे देते हैं। कुछ ट्रस्टीपनका दावा करते हुए मूल पूंजीपर ही अधिकार जमा लेते हैं । जन-सेवाके नाम पर धन-सेवा कर लेते हैं। . .
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