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अणुव्रत-दृष्टि क्रोधादिवश वह सामग्री न देना। दूसरे शब्दोंमें आश्रित प्राणियोंके साथ खाद्य-पेयके सम्बन्धमें वह व्यवहार करना जो सर्वसाधारणमें अनैतिक माना जाता हो।
आश्रित प्राणियोंके लिये तत्सम्बन्धी उत्तरदायित्व व्यक्तिका रहता है अतः आश्रित शब्दका प्रयोग किया गया है। अनाश्रित प्राणीके खाद्य-पेयका विच्छेद करना अर्थात् जो वस्तु जिसके द्वारा जिसको मिल रही है उसे हड़प लेना या उसे प्राप्त न होने देना तो इस नियमके भावसे अपने आप वर्जित हो ही जाता है। __ यदि कोई दूसरे व्यक्तिका पशु अपने घास आदिको खा रहा है उसे यदि दूर किया जाता है, वह नियमसे बाधित नहीं है, क्योंकि वह उस पशुके अधिकारकी वस्तु नहीं । ___ गाय आदिको दूध देनेकी अवस्थामें उसे कुछ विशेष धान्य आदि खिलाते हैं और अतिरिक्त अवस्थामें नहीं खिलाया जाता, वह भी नियमसे बाधित नहीं है क्योंकि यह सर्वसाधारणकी स्वीकृत पद्धति है। नियमका हार्द अनैतिकताका निषेध करनेका है। उसकी साधारण खुराकका यदि विच्छेद किया जाता है तो अवश्य नियम-भंग है।
आर्थिक या अन्य किसी विवशतासे यदि अणुव्रती · तद्विषयक उत्तरदायित्व यथाविधि नहीं निभा सकता तो नियम-भङ्ग नहीं माना जायगा। . बछड़ेको यदि प्रचलित प्रथाके अनुसार स्तन्यपान नहीं कराया जाता तो नियम-भङ्ग है। प्रचलित प्रथाका पालन करते हुये यथासमय उसे गोस्तनसे दूर करना पड़ता है, वहाँ नियम-भङ्ग नहीं है।
११-आश्रित व अनाश्रित प्राणियोंके प्रति क्रूर व्यवहार व प्रहार न करना।
स्पष्टीकरण खाद्य-पेय विच्छेदके अतिरिक्त और भी अनेकों अनैतिक व्यवहार हैं जो आश्रित अनाश्रित प्राणियोंके साथ होते रहते हैं। यह नियम सब
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