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अणुव्रत-दृष्टि . (२२) अपने विचारोंसे सहमत नहीं होने वालोंसे द्वष तो नहीं किया ? - (२३) जिह्नाकी लोलुपतावश अधिक तो नहीं खाया पीया ?
(२४) ताश, चोपड़, केरम आदि खेलोंमें समयको तो बर्बाद नहीं किया ? (२५) घरके या पड़ोसके व्यक्तियोंसे झगड़ा तो नहीं किया ? (२६) किन्हीं अनैतिक या अप्रिय कामोंमें भाग तो नहीं लिया ?
(२७) किसीके साथ व्यक्तिगत या सामूहिक रूपसे कोई षड्यंत्र या पाखण्ड तो नहीं रचा जो देश, समाज व वर्गकी अशांतिके साथ स्वयंके लिये आत्म-ग्लानिका कार्य हो ?
(२८) फिजूलखर्ची तो नहीं की? (२६) ब्लेकमें कोई वस्तु खरीदी या बेची तो नहीं ?
(३०) जुआ, सट्टा, फाटका आदिमें प्रवृत्ति तो नहीं की या किसीको प्रेरणा तो नहीं दी ?
(३१) विधवा स्त्री आदिको अपशकुन मानकर उनका दिल तो नहीं दुखाया ?
नारी समाज ( विशेष ) . (३२) आभरण आदि बनानेके लिये पतिको बाध्य तो नहीं किया ?
(३३) सास, ननद, जेठानी, देवरानी आदि पारिवारिक स्वजनोंके साथ ईर्ष्या, द्वष व कलह तो नहीं किया ?
(३४) सौत, जेठानी, ननद आदि दूसरों के बच्चोंके साथ दुर्व्यवहार तो नहीं किया ?
(३५) किसी विधवा बहिनका अपशब्दोंसे अपमान व तिरस्कार तो नहीं किया ? . (३६) बनाव, शृङ्गार और विषय-वासनामें शक्ति तथा समयका अपव्यय तो नहीं किया ?
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