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अणुव्रत-दृष्टि अणुवतियोंकी ओर आकृष्ट हो और वे चाहें, कोई भी पदाधिकारी बिना अणुवती न बनाया जाये। - नियम अक्षरों में छोटा होते हुए भी व्यापक बहुत है। जितनी प्रकार के नौकरी पेशे हैं, एक भी सम्भवतः नियमका विषय होनेसे अछूता नहीं रहता। यह सहज ही कल्पनामें आ सकता है कि नौकरी पेशेसे घूसखोरी बिदा हो जाती है तो स्वतः न्यायपूर्ण व्यवस्थाका निर्माण हो जाता है।
स्पष्टीकरण किसी व्यक्तिके कार्यको कर देनेका वादा कर अवधानिक रूपसे रुपया आदि लेना या लेनेका वादा करना घूस है ।
३--दहेज, मुकलावा, छूछक आदि दूसरोंके यहाँ देखने न जाना और न अपने तत्वावधानमें आये दहेज आदिको सजाकर दूसरोंको दिखलाना।
सामाजिक प्रथाओंके कारण भारतवासियोंका जीवन बहुत कुछ बोझिल हो रहा है। बहुतसे व्यक्ति बहुत-सी दुष्प्रधाओंका दुष्परिणाम समझने भी लगे हैं तो भी सामाजिक आक्रोशके कारण बहुत सी रूढ़ियां तत्प्रकारसे निभानी पड़ती हैं। आवश्यकता तो थी अणुव्रतीके लिये दहेज आदि लेनेका ही प्रतिबन्ध हो किन्तु कई दृष्टियोंसे चालू वातावरणमें यह कुछ कठोर माना गया । ___पिता अपनी पुत्रीको कुछ भी दे, यह प्रत्येक पिताका स्वतन्त्र विषय है। चाहे उसे दहेज कहा जाये या और कुछ। बड़ी बुराई तो यह है कि वही देना एक दिखानेका रूप लेकर पिताके सर पर एक समस्या हो बैठता है। यह नियम उस दिखानेका मूलोच्छेद करता है इसके अनुसार अणुव्रती न दूसरोंके यहाँ दहेज आदि देखने जा सकता है न अपने घरमें आये और न अपने घरसे दिये जानेवाले दहेज आदिको सजाकर प्रदर्शनका रूप दे सकता है। इससे समाजमें दहेजादिको लेकर होने
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