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ब्रह्मचर्य्य- अणुव्रत
उपहासका विषय तो यह है, वेश्याको मंगलसूचक शकुन भी लोग मानने लगे हैं, उनका विश्वास है विवाहके अन्यान्य मंगल कार्योंकी तरह वेश्या-नृत्य भी एक मंगल कार्य है । किस बुद्धिमानको इस समझ पर तरस नहीं आती होगी कि पुत्र बधु व पुत्री आदि तो विधवा हो जानेके कारण घरमें एक अपशकुन और अभिशाप है जो कि ब्रह्मचर्य - पालनको अपने जीवनका ध्येय मान चुकी हैं, पर वेश्या, जो पतनकी पराकाष्ठा तक पहुंच चुकी है, एक शुभ शकुन है । यह सब क्या नैतिकताके परम पतनका सूचक नहीं है ?
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इस वेश्या - नृत्यकी कुप्रथाके कारण ही, न जाने उन अभिभावकों की इस पाप पूर्ण प्रवृत्तिसे कितने युवक कुपथगामी होकर अपना सर्वस्व खोते और संततिका वह पतनमय पथ-प्रदर्शन करते हैं । अणुव्रतीका कर्त्तव्य है ऐसी रुढ़ियों का सब प्रकार से असहयोग किया करें । स्पष्टीकरण
संगीत-विज्ञा व नर्तकीके गान और नृत्यके विषय में नियम बाधक
नहीं है ।
११ – वेश्या - नृत्य देखनेके उद्द ेश्यसे तदुद्विषयक आयोजनमें सम्मिलित न होना ।
वेश्या - नृत्य न करानेकी तरह न देखना भी अणुव्रतीके लिये आवश्यक है । दूसरोंके यहाँ होनेवाले नृत्यको देखने जाना उस प्रथाको प्रोत्साहित करना है । अणुव्रती ऐसा नहीं कर सकता । स्पष्टीकरण
किसी समारोहमें अन्यान्य कार्यक्रमके साथ यदि वेश्या - नृत्यका भी गौण कार्यक्रम हो, यदि अन्यान्य उद्देश्योंसे अणुव्रतीको वहाँ जाना पड़ रहा हो तो नियम बाधक नहीं होगा । नियमकी शब्द - रचनामें भी उक्त भाव स्पष्ट है, वेश्या-नृत्य देखने के उद्देश्यसे तद्विषयक आयोजन में सम्मिलित न होना, फिर भी यहाँ व्याख्यामें विशेष स्पष्ट कर दिया गया है ।
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