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________________ 250 256 258 255. 257 257 263 279 र५१ श्लोक पृष्ठ / श्लोक नित्यं त्रिकालगोचर 252 वस्त्रादौ नेहभावो निश्चित्येतीह 246 व्यतिरोकिणो ह्यनित्या परमसमाधि शब्दो बन्धः सूक्ष्मः पर्याय: किल 259 शुद्धः पुद्गलदेशः पर्यायो द्रव्यात्मा शुद्धात्मज्ञानदक्षः पर्यायः परमाणुमात्र शुद्धा देशगुणाश्च पूर्वावस्थाविगमे 251 शुद्धादुपयोगादिह पंचाचारादिरूपं शुद्धाशुद्धा हि प्रकृतिस्थित्यनुभाग शुद्धकाणुसमाश्रिता प्रणम्य भाव विशदं 241 शुद्धेऽणौ खल प्राणैर्जीवति शुभभावैर्युक्ता प्रोक्तं द्रव्यं प्रमाणात सति कारणे यथास्त्र बहिरंतरंगसाधन 251 सद्व्यं सच्च गुणः भावा वैभाविका सहरमोहक्षतः भेदज्ञानी करोति सम्बग्दृग्ज्ञानवृत्तं मिथ्यात्वाद्यात्म सर्वेश्वविशेषेण मुक्तकमैप्रमुक्ती सर्वोत्कृष्टविशुद्धि मोक्षो लक्षित एव सिद्धा कार्मणवर्गणाः मोक्षः स्वात्मप्रदेश संक्लेशासक्तचित्तो मोहः संतानवी संख्यातीतप्रदेशा यच्छ्रद्धानं जिनोक्तेः 244 संख्यातीतप्रदेशेषु यावत्वाकाश 259 युगपद्योगकषायो 262 संसारेऽत्र प्रसिद्ध ये जीवा परमात्म 263 स्कंधेषु द्वयणुकादिषु दादेवभाजों स्नेहाभ्यंगाभावे यी द्रव्यन्तिरसमिति स्वात्मज्ञाने निलीन रुक्षस्निग्धगणैः का खात्मन्येवोपयुक्तः लोकीकाशमितकर यah२५८ स्वीयाच्चतुष्टयात् 261 255 251 255 244 250 261 263 256 K 253 253 254 257 255 247 246 समबन आमसपास लिली. * JAL RAPATAN
SR No.034462
Book TitleJambuswami Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajmalla Pandit, Jagdishchandra Shastri
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year1937
Total Pages288
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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