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________________ जीव- अजीव तत्त्व एवं द्रव्य सहायता से यह जाना कि जब वर्णक्रम में लालरंग के नीचे थर्मामीटर रखा जाता है तो वह सबसे अधिक गर्म होता है। इससे यह परिणाम सामने आया कि सूर्य से आती अदृश्य किरणें जिन्हें अवरक्त किरणें कहा जाता है यही किरणें ताप के कारण हैं। 276 प्रत्येक पदार्थ के भीतर अणु - परमाणु निरंतर गति करते रहते हैं और उससे जो ताप उत्पन्न होता है वह विद्युत् चुम्बकीय विकिरण के रूप में बाहर निकलता है। इसी प्रकार प्रत्येक पदार्थ बाहर से ग्रहण किये हुए ताप का कुछ अंश भी छोड़ता रहता है । जब तापमान अधिक होता है तो विकिरण का कुछ अंश प्रकाश के रूप में दिखाई देने लगता है, अन्यथा वह अदृश्य अवरक्त किरणों के रूप में रहता है। प्रकाश में सात रंगों की किरणें होती हैं। प्रत्येक रंग की किरणों का तरंगदैर्ध्य (तरंगों की लम्बाई) अलग-अलग होता है। इस तरंग दैर्ध्य की भिन्नता के कारण ही रंग भिन्न-भिन्न लगते हैं। इन किरणों में जों सबसे अधिक लम्बी होती हैं वे लाल (रक्त) रंग वाली होती हैं। अवरक्त किरणें भी लाल (रक्त) किरणों के समान ही होती हैं परंतु उनकी तरंगें लाल रंग की किरणों से भी अधिक लम्बी होती हैं और उनकी आवृत्ति ( फ्रीक्वेंसी) कम होती है । ये रक्त के ठीक नीचे होती हैं। अतः अवरक्त ( लाल के नीचे ) कहलाती हैं। सूर्य के प्रकाश में विद्यमान ये अवरक्त किरणें आतप या ताप रूप में प्रकट होती हैं। जिस प्रकार प्रकाश ऊर्जा की तरंगे हैं, उसी प्रकार अवरक्त किरणें भी ऊर्जा की तरंगें हैं और आज तो इस आतप (धूप) रूप ऊर्जा का उपयोग विविध कार्यों में होने लगा है।
SR No.034365
Book TitleVigyan ke Aalok Me Jeev Ajeev Tattva Evam Dravya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Lodha
PublisherAnand Shah
Publication Year2016
Total Pages315
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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