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________________ 248 जीव-अजीव तत्त्व एवं द्रव्य 16,740 मण वजन होता है।' हमारी इस आकाश-गंगा का ज्येष्ठ तारा ही इतना भारी है कि जिसके अंगूठी में जड़े एक नग के बराबर कण में ही आठ मण वजन है। बटुक तारे में प्रति घन इंच 5 टन वजन है, वहाँ गामा व अन्य रश्मियाँ भारहीन हैं लेकिन वे एक फुट मोटी सीसे की चद्दर को भी छेद सकती हैं। __ वैज्ञानिक का कथन है कि यदि हमारी पृथ्वी के परमाणु निविड़ता धारण कर लें तो वे बच्चों के खेलने में काम आने वाली छोटी गेंद के आकार की बन जाय। पुद्गल-परमाणुओं की सूक्ष्म परिणामावगाहन शक्ति के विज्ञान जगत् में अनेक उदाहरण मिलते हैं। उनमें से एक यहाँ दिया जाता है “एक गैलन आयतन वाले एक डिब्बे में एक गैलन अमोनिया गैस भरी जा सकती है और यदि उस डिब्बे में पानी भर दिया जाय तो पानी के बाद भी 700 गैलन अमोनिया गैस उसमें भरी जा सकती है।" पदार्थ के इस संकोच-विस्तार धर्म को सुंदर ढंग से समझाते हुए जैनाचार्य दीपक का उदाहरण देते हैं। यथा-एक कमरे में एक दीपक का प्रकाश सर्वव्यापक होता है, लेकिन उसमें सैकड़ों अन्य दीपकों का प्रकाश भी समा सकता है अथवा एक दीपक का प्रकाश, जो किसी बड़े कमरे में फैला रहता है, किसी छोटे बर्तन से ढंके जाने पर उसी में समा जाता है। जैनाचार्यों ने पुद्गल के संकोच-विस्तार गुण का उपर्युक्त उदाहरण बड़ा ही सुंदर व बुद्धिग्राह्य दिया है। फिर भी एक ही आकाश प्रदेश में अनन्तानन्त पुद्गल परमाणु समा जाते हैं। इसे और भी अधिक स्पष्ट करने 1. विज्ञान लोक, फरवरी 1965, पृष्ठ 34 2. 'प्रदेशसंहारविसर्गाभ्यां प्रदीपवत्।' -तत्त्वार्थ सूत्र, अध्यययन 5, सूत्र 16
SR No.034365
Book TitleVigyan ke Aalok Me Jeev Ajeev Tattva Evam Dravya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Lodha
PublisherAnand Shah
Publication Year2016
Total Pages315
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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