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________________ पुद्गल द्रव्य 247 “स्यादेतत्संख्यातप्रदेशो लोकः, अनंतप्रदेशस्यानंतान्तप्रदेशस्य च स्कंधस्याधिकरणमिति विरोधस्ततो नानन्त्यमिति। नैष दोषः। सूक्ष्मपरिणामवगाह्यशक्तियोगात् परमाण्वादयो हि सूक्ष्म मानने परिणता एवं कस्मिन्नप्याकाशप्रदेशेऽनन्तानन्ता व्यवतिष्ठेन्ते, अवगाहनशक्तिश्चैषामव्याहताऽस्ति, तस्मादकस्मिन्नपि प्रदेशेऽनन्तानन्तावस्थानं न विरुध्यते।' -सर्वार्थसिद्ध, 5.16 उत्तर में आचार्य कहते हैं कि इसमें कोई आपत्ति नहीं है। सूक्ष्म परिणमन और अवगाहन शक्ति के कारण परमाणु और स्कंध सभी सूक्ष्म परिणत हो जाते हैं, इस प्रकार एक ही आकाश प्रदेश में अनन्तानन्त परमाणु व स्कंध निर्विरोध रह सकते हैं। __वैज्ञानिक समर्थन-विज्ञान जगत् में परमाणुओं की सूक्ष्म परिणति व निविड़ता को स्वीकार कर लिया गया है। एक घन इंच वाले काठ, चाँदी व सोने के टुकड़े के भार में कितना अंतर है, यह सर्व विदित है। इसका कारण परमाणुओं की निविड़ता ही है। जितने आकाश में काठ के थोड़े से परमाणु निवास करते हैं उतने ही आकाश में चाँदी के कितने गुने अधिक और सोने के परमाणु उससे भी अधिक संख्या में रह सकते हैं। आकाश में ऐसे अनेक नक्षत्र हैं जिनमें स्थित पदार्थ प्लेटिनम से भी हजारों गुने अधिक सघन हैं। एक सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक का कथन है-In some of these bodies (Small Stars) the matter has become so densely packed that a cubic inch weighs a tone. The smallest known star discovered recently is so dense that a cubic inch of its material weighs 620 tones. -Ruby E Bois F.R.A. अर्थात् ‘इन छोटे नक्षत्रों व तारों में से कुछ एक में पदार्थ इतनी सघनता से भरा है कि उसके एक घन इंच टुकड़े में 27 मण वजन है। सबसे लघु तारा जो अभी ही खोजा गया है उसके एक घन इंच में
SR No.034365
Book TitleVigyan ke Aalok Me Jeev Ajeev Tattva Evam Dravya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Lodha
PublisherAnand Shah
Publication Year2016
Total Pages315
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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