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देगा, जिसमें अभाव, अभियोग तथा ईर्ष्या, द्वेष, वैयक्तिक स्वार्थ, शोषण आदि बुराइयाँ न होंगी। मानव का आनन्द भौतिक वस्तुओं पर आधारित न होकर प्रेम, सेवा आदि मानवीय गुणों पर आधारित होगा । विज्ञान का विकास आध्यात्मिक क्षेत्र में होगा, इसका समर्थन करते हुए विश्व के महान् वैज्ञानिक डॉ. चार्ल्स स्टाइनमेज लिखते हैं- महानतम आविष्कार आत्मा के क्षेत्र में होंगे। एक दिन मानव-जाति को पुनः प्रतीत हो जायगा कि भौतिक वस्तुएँ आनन्द नहीं देतीं और उनका उपयोग स्त्री-पुरुषों को सृजनशील तथा शक्तिशाली बनाने में बहुत ही कम है। तब वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं को आत्मा और प्रार्थना के अध्ययन की ओर उन्मुख करेंगे। जब वह दिन आयेगा, तब मानव जाति एक ही पीढ़ी में इतनी उन्नति कर सकेगी जितनी आज की चार पीढ़ियाँ भी न कर पायेंगी । आशय यह है भविष्य में आत्मज्ञान और विज्ञान के मध्य की भेद - रेखा मिटकर दोनों परस्पर घुल-मिल जायेंगे। वह दिन विश्व के लिए वरदान सिद्ध होगा।
1. ज्ञानोदय, अक्टूबर, 1959
त्रसकाय