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________________ 139 वनस्पति में संवेदनशीलता प्रकरणों में आ चुका है। इसलिए यहाँ इनकी विलक्षणता को नहीं दिया जा रहा है। जापान के घने जंगलों में एक ऐसा वृक्ष होता है जो सूर्यास्त होते ही अपनी चोटी से धुआँ छोड़ने लगता है जिससे वृक्ष के आस-पास धुआँ के बादल छाए रहते हैं तथा ऐसा लगता है कि कोई ज्वालामुखी फूट पड़ा हो। तेजोलेश्या-यह शुभ वृत्ति मधुर जल, सरस फल, सुरभित फूल वाली वनस्पतियों में मुख्यत: पायी जाती है। मेडागास्कर में नारियल पत्तों के आकार का एक ‘जलवृक्ष' पाया जाता है। यह यात्रियों को पीने के लिए पर्याप्त मात्रा में जल देता है। यह तीस फुट तक ऊँचा होता है। इसकी पत्तियाँ पंखे के आकार की चौड़ी होती हैं। प्रत्येक पत्ती के डंठल के अंत में कटोरा-सा बना होता है जिसमें जल भरा रहता है। यात्री उसमें एक छेद बनाता है जिससे जल निकलने लगता है। इस प्रकार यात्री को छह सात डंठल से लगभग एक किलोग्राम जल मिल जाता है जिसे पीकर यात्री अपनी प्यास बुझा लेता है। मेडागास्कर के रेतीले प्रान्त में एक-दूसरे प्रकार का झाड़ीदार पौधा होता है जिसकी जड़ों में जल जमा रहता है। यह जल बड़ा ही स्वच्छ, शीतल, स्वादिष्ट व स्वास्थ्यवर्धक होता है। अनेक प्यासे यात्री इससे प्यास बुझाकर अपनी जान बचाते हैं। इण्डोनेशिया के सुमात्रा द्वीप में एक ऐसा वृक्ष होता है जो जल बरसाता है। अत: वहाँ के निवासी इसे जल-वर्षक वृक्ष कहते हैं। दोपहर के समय जब सूर्य की किरणें काफी तेजी से चमकती हैं, तब यह पेड़ हवा के द्वारा भाप ग्रहण करता है। कुछ देर बाद यह भाप एकत्र होकर जल के रूप में बरसने लगती है। पेड़ के नीचे थोड़ी देर में अच्छा खासा घड़ा भर जाता है। 1. साप्ताहिक हिन्दुस्तान, 17 जून, 1962
SR No.034365
Book TitleVigyan ke Aalok Me Jeev Ajeev Tattva Evam Dravya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Lodha
PublisherAnand Shah
Publication Year2016
Total Pages315
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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