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वनस्पति में संवेदनशीलता
___ वनस्पति की आहार ग्रहण करने व उसका परिणमन करने की आगम में प्रतिपादित उपर्युक्त प्रक्रिया का उद्घाटन वर्तमान में विज्ञान के प्रयोगों ने कर दिया है। वनस्पति के आहार ग्रहण का विवेचन आधुनिक वनस्पति विज्ञान वेत्ता इस प्रकार करते हैं
“मूल रोम मिट्टी के कणों से चिपटे रहते हैं और उन कणों में मौजूद खनिज पदार्थों के पतले विलयन के सम्पर्क में आते हैं। खनिजों का विलयन अन्त:रसाकर्षण द्वारा मूल रोमों के भीतर पहुँचता है। मूल रोमों की कोशिकाओं में पदार्थों के गाढ़े विलयन सदा मौजूद रहते हैं। इन कोशिकाओं के बाहर मिट्टी के खनिज पदार्थों के बहुत पतले विलयन (घोल) रहते हैं। कोशिकाओं की दीवालें अर्धप्रवेश्य झिल्लियों का कार्य करती हैं। अंदर का गाढ़ा विलयन बाहर के पतले विलयन की रसाकर्षण के नियमानुसार अपनी
ओर खींचता है जो अंत: रसाकर्षण द्वारा कोशिकाओं के भीतर पहुँचता है। मूल रोमों की कोशिकाओं में इस पतले विलयन में पहुँच जाने से वहाँ का विलयन थोड़ा पतला हो जाता है। इसके पास ही अंदर की कोशिका विलयन इसकी अपेक्षा गाढ़ा रहता है। अत: मूल रोम से पानी और पतला विलयन अंदर की कोशिका में रसाकर्षण द्वारा चला जाता है। अब इस अंदर
की कोशिका का विलयन इसके पास ही अंदर की दूसरी कोशिका के विलयन से पतला हो जाता है और फलस्वरूप यह विलयन अंदर वाली दूसरी कोशिका में चला जाता है। इस प्रकार कोटेक्स की एक कोशिका से दूसरी कोशिका में रसाकर्षण द्वारा पानी और पतला विलयन पहुँचता जाता है और अंत में जाइलम नलियों में पहुंचता है। इन नलियों द्वारा फिर यह ऊपर तने और पत्तियों में पहुँचता है। इस प्रकार कोशिकाओं के अंदर, बाहर का पानी तथा खनिज पदार्थों का पतला विलयन रसाकर्षण क्रिया द्वारा