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भजन
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तीन लाख सोनैया काढो, श्री भण्डारा माँही। दो लाख रा ओघा पात्रा, एक लाख में नाई हो.... ।।9 ।। हरख भाव तूं संजम लेकर, हुआ बाल अणगार । भगवन्ता रा चरण भेटिया, धन्य ज्याँरो अवतार हो.. ||10 ।। वर्षा-काल वरसियाँ पीछे, मुनिवर स्थण्डिल जावे । पाल बाँध पानी में पात्री, नावा जेम तिरावे हो.... ||11 ।। नाव तिरे, मेरी नाव तिरे, यूँ मुख से शब्द उच्चारे । सांधाँ के मन शंका उपजी, किरिया लागे थारे हो.... ।।12 ।। भगवन्त भाखे सब साधाँ ने, भक्ति करो मन छन्द । हीलना निन्दा मत करो इनकी, चरम शरीरी जीव हो ।।13 ।। समत् अठारे वर्ष चौराणु, चेत्र वदि रविवार । पूज्य प्रसादे जोड़ी जुगत से, देव गुरु-प्रसाद हो.... ||14 ।।
मुनि गजसुकुमाल (तर्ज-जब तुम्हीं चले परदेश..........) श्री गजसुकु माल कुमार, धन्य अवतार ध्यान शुभ ध्याये, सब कर्म काट शिव पाये ।।टेर ।। ये कृष्णचन्द्र के लघु भ्राता, ये सोमिल द्विज के दामाता। कर गज असवारी, प्रभु दर्शन को आये....... ||1 ।। सुन ज्ञान दर्शन पा हर्षाए, संस्कार पूर्व के प्रकटाये यों कही प्रभु से, दीक्षा लूँ घर आये....... ।। 2 ।। इत हरि मातादिक समझाये, अभिषेक राज्य का करवाये । दिया त्याग राज्य तब, दीक्षोत्सव मनाये....... ।। 3 ।। ले दीक्षा प्रभु से अर्ज करी, तब आज्ञा दे प्रभु हर्ष धरी । फिर महाकाल मरघट पै प्रतिमा ठाये....... ।। 4 ।। लख ध्यान अटल सोमिल आया, ये मम पुत्री को तज आया। दी पाल बाँध मिट्टी की, आग रख जाये....... ।। 5 ।। जब हुई वेदन क्षमाधारी, तब शुक्ल लेश्या ध्यान धरी । लिया ज्ञान दर्श मिला, मोक्ष प्रभु फरमाये....... ।।6।। ये शहर 'देई' चौमासा किया, लख धर्म ध्यान हर्षाय जिया। यो साल आठ में ‘सागर मुनि" गुण गाये....... 117 ।।