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________________ अष्टम वर्ग - सप्तम अध्ययन ] 205} कृत्वा सर्वकामगुणितं पारयति, पारयित्वा षोडशं करोति, कृत्वा सर्वकामगुणितं पारयति, पारयित्वा (एषा) प्रथमा लता।।1।। अन्वायार्थ-एवं वीरकण्हा वि = इसी प्रकार वीरकृष्णा का अध्ययन भी समझना चाहिये । नवरं महालयं सव्वओभदं तवोकम्मं उवसंपज्जित्ताणं विहरइ = विशेष:-यह महत् सर्वतोभद्र तप: कर्म को अंगीकार करके विचरने लगी। तं जहा- = जैसे कि-, चउत्थं करेइ, करित्ता = उपवास किया, करके, सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता = सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके, छटुं करेइ, करित्ता = बेला किया, करके, सव्वकागुणियं पारेइ, परित्ता = सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके, अट्ठमं करेइ, करित्ता = तेला किया, करके, सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता = सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके, दसमं करेइ, करित्ता = चौला किया, करके, सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता = सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके, दुवालसमं करेइ, करित्ता = पाँच उपवास किये, करके, सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता = सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके, चउद्दसमं करेइ, करित्ता = छह उपवास किये, करके, सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता = सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके, सोलसमं करेइ, करित्ता = सात उपवास किये, करके, सव्वकामगुणियं पारेइ पारित्ता = सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके, पढमा लया = यह प्रथमा लता हुई।।1।। भावार्थ-इसी प्रकार सातवाँ अध्ययन वीरसेन कृष्णा आर्या का भी समझना चाहिये । यह भी श्रेणिक राजा की छोटी रानी एवं कोणिक राजा की माता थीं। इन्होंने भी भगवान महावीर का धर्मोपदेश सुनकर एवं संसार से विरक्त होकर श्रमणी-दीक्षा अंगीकार की। विशेष यह है कि वह अपनी गुरुणीजी आर्या चन्दनबाला की आज्ञा लेकर 'महा सर्वतोभद्र' तप को अंगीकार करके विचरने लगीं। इस ‘महा सर्वतोभद्र' की आराधना करने की विधि इस प्रकार है-सर्वप्रथम उपवास किया और सर्वकामगुण पारणा किया, बेला किया और सर्वकामगुण पारणा किया, तेला किया और सर्वकामगुण पारणा किया, चोला किया और सर्वकामगुण पारणा किया, पचोला किया और सर्वकामगुण पारणा किया, छह किये और सर्वकामगुण पारणा किया, सात किये और सर्वकामगुण पारणा किया, यह प्रथम लता हुई।।1।। सूत्र 2 मूल- दसमं करेइ, करित्ता सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता दुवालसमं करेइ, करित्ता सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता चउद्दसमं करेइ, करित्ता सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता सोलसमं करेइ, करित्ता सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता चउत्थं करेइ, करित्ता सव्वकाम-गुणियं पारेइ, पारित्ता
SR No.034358
Book TitleAntgada Dasanga Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimalji Aacharya
PublisherSamyaggyan Pracharak Mandal
Publication Year
Total Pages320
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_antkrutdasha
File Size2 MB
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