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अष्टम वर्ग - प्रथम अध्ययन ]
181 } मासेहिं = एक वर्ष तीन महीने, बावीसाए य अहोरत्तेहिं = व बावीस अहोरात्रि से, अहासुत्तं जाव आराहिया भवइ = सूत्रानुसार यावत् आराधना की जाती है।
भावार्थ-काली आर्या ने पहले उपवास किया और इच्छानुसार विगय से पारणा किया, फिर बेला किया और सर्वकामगुण-विगय सहित पारणा किया।
तेला किया, सर्वकामगुणयुक्त अर्थात् इच्छानुसार विगय सहित पारणा किया; फिर आठ बेले किये और सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया; फिर उपवास किया और सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया; बेले की तपस्या की और सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया; तेला किया और सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया; दशम अर्थात् चोले की तपस्या की और सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया; द्वादश-पचोला किया और सर्वकामगुण पारणा किया; चतुर्दश-छ: का तप किया और सर्वकामगुण पारणा किया; षोडश-सात का तप किया और सर्वकामगुण पारणा किया; अष्टादश-आठ का तप किया और सर्वकामगुण पारणा किया; नव का तप किया
और सर्वकामगुण पारणा किया; दस का तप किया, और सर्वकामगुण पारणा किया; ग्यारह का तप किया और सर्वकामगुण पारणा किया; बारह का तप किया और सर्वकामगुण पारणा किया, तेरह का तप किया और सर्वकामगुण पारणा किया, चौदह का तप किया और सर्वकामगुण पारणा किया, पन्द्रह का तप किया और सर्वकामगुण पारणा किया, सोलह का तप किया और सर्वकामगुण पारणा किया, चौंतीस बेले किए और सर्वकामगुण पारणा किया, फिर सोलह का तप किया और सर्वकामगुण पारणा किया, पन्द्रह का तप किया
और सर्वकामगुण पारणा किया, चौदह का तप किया और सर्वकामगुण पारणा किया, तेरह का तप किया और सर्वकामगुण पारणा किया, बारह का तप किया और सर्वकामगुण पारणा किया, ग्यारह का तप किया और सर्वकामगुण पारणा किया, दस का तप किया और सर्वकामगुण पारणा किया, नव का तप किया और सर्वकामगुण पारणा किया, आठ का तप किया और सर्वकामगुण पारणा किया, सात का तप किया और सर्वकामगुण पारणा किया, छ: का तप किया और सर्वकामगुण पारणा किया, पचोले का तप किया और सर्वकामगुण पारणा किया, चोले का तप किया और सर्वकामगुण पारणा किया, तेले का तप किया और सर्वकामगुण पारणा किया, बेले का तप किया और सर्वकामगुण पारणा किया, उपवास का तप किया और सर्वकाम-गुण पारणा किया, आठ बेले किये और सर्वकामगुण पारणा किया, तेला किया और सर्वकामगुण पारणा किया, षष्ठ-बेला किया और सर्वकामगुण पारणा किया, उपवास किया और सर्वकामगुण पारणा किया इस प्रकार काली आर्या ने इस रत्नावली तप की प्रथम परिपाटी की आराधना की सूत्रानुसार रत्नावली तप की इस आराधना की प्रथम परिपाटी (लड़ी) एक वर्ष तीन महीने और बावीस अहोरात्र में पूर्ण की जाती है। इस एक परिपाटी में तीन सौ चौरासी दिन तपस्या के एवं अठासी दिन पारणे के होते हैं। इस प्रकार कुल चार सौ बहत्तर दिन होते हैं।।4।।