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उत्तर
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[आवश्यक सूत्र पाठ का अन्तिम शब्द ‘मत्थएण वंदामि' बोलते समय भी पंचांग गुरुदेव के चरणों में
झुकाना चाहिए। 6. अनुशासित रहकर, विवेकपूर्वक, विनम्रतापूर्वक वन्दन करने का पूरा ध्यान रखना चाहिए। 7. गुरुदेव को स्वाध्याय में, वाचना में, कायोत्सर्ग में, साधनादि संयमचर्या में व्यवधान नहीं हो, ___ इस बात का ध्यान रखते हुए दूर से ही वन्दना करनी चाहिए। 8. जब गुरु भगवन्त गोचरी कर रहे हों, तपस्या, वृद्धावस्था, बीमारी अथवा अन्य किसी भी
कारण से सोये हुए हों, आवश्यक क्रिया कर रहे हों, गोचरी लेने जा रहे हों, तब गुरुदेव के
निकट जाकर वन्दना करना विवेकपूर्ण नहीं माना जाता है। 9. श्रावक-श्राविकाओं के ज्ञान-ध्यान में, प्रवचन-श्रवण आदि में बाधा नहीं हो, इसका पूरा
_ विवेक रखते हुए वन्दना करनी चाहिए। प्रश्न 27. अनेक परम्पराओं में आवर्तन देने की अलग-अलग विधियाँ प्रचलित हैं, ऐसी स्थिति
में श्रावक-श्राविकाओं को क्या करना चाहिए? सैद्धान्तिक व्याख्या ग्रन्थों में आवर्तन देने की विभिन्न विधियाँ मिलती हैं। जिस संघ के आचार्यादि को जो विधि अधिक उपयुक्त लगती है वे इसे स्वीकार करते हैं तथा अपने संघ में लागू करते हैं। अत: आवर्तन की विधियों में अन्तर दिखाई देना सहज है। फिर भी इतना अवश्य है कि जो श्रावक-श्राविका, साधु-साध्वी जिस संघ में, जिस आचार्यादि के नेतृत्व में अपनी साधनाआराधना कर रहे हैं, इनके आचार्यादि संघ प्रमुख जिस किसी भी विधि को मान्य करें, स्वीकृत करें, इस विधि को पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ अपनाना चाहिए। ऐसा करने से वह साधक, आराधक बन सकता है, अपने लक्ष्य को प्राप्तकर सकता है। परम श्रद्धेय आचार्य श्री हस्तीमलजी म.सा. अपने स्वयं के बायें से दाहिनी ओर (Left to Right) हाथ घुमाने की विधि को सही मानकर आवर्तन देते थे। आचार्य प्रवर श्री हीराचन्द्रजी
म.सा. भी वर्तमान में इसी विधि को उपयुक्त मानकर वन्दनादि करते हैं। प्रश्न 28. आवर्तन तीन बार क्यों किये जाते हैं ? उत्तर मन, वचन और काया से वन्दनीय की पर्युपासना करने के लिए तीन बार आवर्तन किये जाते हैं। प्रश्न 29. तिक्खुत्तो के पाठ में वंदामि' और 'नमंसामि' शब्दों का साथ-साथ प्रयोग क्यों किया है ? उत्तर तिक्खुत्तो के पाठ में 'वंदामि' का अर्थ है वन्दना करता हूँ और 'नमंसामि' का अर्थ है-नमस्कार
करता हूँ। वन्दना में वचन द्वारा गुरुदेव का गुणगान किया जाता है, किन्तु नमस्कार में पाँचों अंगों को नमाकर काया द्वारा नमन किया जाता है।