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________________ सहजता अहंकार के हस्ताक्षर के बगैर कुछ नहीं होता प्रश्नकर्ता : अहंकार हमेशा अवरोधक है या उपयोगी भी है? दादाश्री : अहंकार के बगैर तो इस दुनिया में यह बात भी नहीं होगी। अगर एक चिट्ठी लिखनी हो न, तो उसे भी अहंकार की गैरहाज़िरी में नहीं लिख सकते। अहंकार दो प्रकार के हैं। एक डिस्चार्ज होता हुआ अहंकार, जो टॉप्स (लटू) के जैसा है और दूसरा चार्ज हो रहा जीवित अहंकार, जो शूरवीर के समान है। लड़ता भी है, झगड़ता भी है, सबकुछ करता है। जबकि उस डिस्चार्ज अहंकार के हाथ में तो कुछ भी नहीं है, लटू के जैसा है। अर्थात् अहंकार के बगैर तो दुनिया में कुछ भी नहीं होता लेकिन वह अहंकार डिस्चार्ज हो रहा है। आपको परेशान नहीं करेगा। अहंकार के बगैर तो काम ही नहीं होता। हमें ऐसा कहना पड़ता है कि मैं संडास गया था, मुझे संडास जाना है। जब वह डिस्चार्ज अहंकार हस्ताक्षर करता है तभी कार्य होता है, वर्ना, कार्य नहीं होता है। अहंकार से चिंता, चिंता से... संसार में जो बाइ प्रोडक्ट का अहंकार होता है, वह सहज अहंकार है, जिससे सब सहज चलता है। वहाँ अहंकार का ही कारखाना बनाया और अहंकार बिफर गया, कारखाना इतना अधिक बढ़ाया कि चिंता की कोई सीमा ही नहीं रही। अहंकार को ही बढ़ाता रहा। सहज अहंकार से ही यह संसार चलता है, नॉर्मल अहंकार से। वहाँ पर अहंकार को बढ़ाने की ज़रूरत ही नहीं। फिर इतनी उम्र में चाचा कहते हैं कि 'मुझे चिंता होती है।' उस 'चिंता' का फल क्या? आगे जानवर गति मिलेगी, इसलिए सावधान हो जाओ! अभी भी सावधान हो सकते हैं! जब तक मनुष्य (के जन्म) में हो तब तक सावधान हो जाओ! जहाँ चिंता होगी वहाँ जानवर गति का फल मिलेगा। सभी जीव हैं, आश्रित संसार, वह तो समसरण मार्ग है। उसमें हर एक मील पर, हर एक फल्ग पर रूप बदलेंगे। मनुष्य को इन रूपों में तन्मयता रहती है
SR No.034326
Book TitleSahajta Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages204
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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