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[1.2] निर्दोष ग्राम्य जीवन
माँ अंबा के लाल, 'अंबालाल' प्रश्नकर्ता : दादा, आपका नाम कैसे पड़ा?
दादाश्री : मेरी माता जी (झबेर बा) ने मेरे लिए मेरे जन्म से पहले आठ साल तक घी न खाने का प्रण लिया था और वे निरंतर अंबा माँ की भक्ति करते थे। उस पर से मेरा नाम 'अंबालाल' रखा।
गलगोटा जैसा शरीर इसलिए कहते थे 'गलो' प्रश्नकर्ता : दादा को गला काका क्यों कहते थे?
दादाश्री : बचपन का नाम ही गला भाई था। गलु से लोगों ने गला कर दिया, फिर गला काका किया। उस नाम से पहचाने गए। मुहल्ले में लोग ऐसा कहते थे कि 'गला काका आए'।
प्रश्नकर्ता : गलो नाम पड़ा उस वक्त आपकी कितनी उम्र होगी, दादा?
दादाश्री : दस साल का। प्रश्नकर्ता : गला का मतलब क्या है दादा?
दादाश्री : वह तो मज़ाक में, आनंद का नाम। गलुडिया (पिल्ले) नहीं कहते? जब छोटे होते हैं तब?
प्रश्नकर्ता : हाँ, हाँ।