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________________ जो मुझे कुछ सिखाएगा, वहाँ पर... 430 [10.10]ज्ञानी के लक्षण, बचपन से ही बहुत दिनों तक छला गया, अब नहीं...431 जल्दबाज़ और शरारती स्वभाव 441 ममता या स्वार्थ नहीं, इसीलिए नहीं...432 चित्त कुत्ते को खिलाने में था, मेरी बात..441 बचपन में गुरु के बारे में यथार्थ समझ 433 क्षत्रिय पुत्र और दिमाग़ तूफानी... 442 मुझे वास्तविक ब्रह्मसंबंध चाहिए... 433 गुनहगार को जाने बिना निमित्त को... 443 परिणाम को पकड़ने वाला वैज्ञानिक...434 अगर निमित्त को काटें तो कुत्ते और... 444 परिणाम ही दिखाई देते थे, इसलिए... 435 जो निमित्त को न काटे, वह भगवान.. 445 लोगों के माने हुए सुख में नहीं देखा... 436 पता चला – 'भुगते उसी की भूल' 446 जो किसी की नकल नहीं करे... 437 दुःख होने पर हिसाब निकाल लिया.. 446 अंदर वाले भगवान को डाँटता था... 437 र व्यवस्थित ढूँढ लिया बचपन में 447 टेढ़े-मेढ़े रास्ते के बजाय अच्छा... 438 व्यवास खुद के माने हुए रास्ते पर चलकर अंत.430 दिल के सच्चे थे न इसीलिए सच्चा... 447 64
SR No.034316
Book TitleGnani Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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