________________ असामान्य-बेजोड़ ज्ञानी पुरुष मेरा संतोष जन्मजात था। मझमें बचपन से ही दुःख में से सुख खोजने की वृत्ति थी। मैं तो बचपन से ही किसी चीज़ में नहीं पड़ता था। मुझे वही करना था जो और कोई नहीं कर सकता था। सांसारिक चीजों के तो बहुत जानकार हैं। मुझे उसका जानकार बनना है जिसका कोई जानकार नहीं हो। दनिया के ज्ञानी तो चलते-फिरते भी मिल जाते थे। इसलिए मझे यह विचार आया कि जिस चीज का कोई ज्ञानी नहीं है, जिसका ज्ञानी कोई पैदा ही नहीं। हुआ, मुझे उस चीज़ का ज्ञानी बनना है। -दादाश्री 07 9-4803873313 Printed in India dadabhagwan.org Price 150