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________________ [9] कुटुंब-चचेरे भाई-भतीजे 339 नहीं होने देगा। कहीं ज़रा सी ज़्यादा झंझट हुई कि वहाँ से खिसक जाएगा, और फिर कैसे खिसकता है ? यों ही नहीं, आपके मन को तोड़कर नहीं। आप पर हाथ-वाथ फेरकर कहेगा, 'देखिए, कल सुबह चाय-नाश्ता है, आपको आना है।" आश्चर्य ही है न! मैंने उससे कहा, 'तू अगर टकराव नहीं करेगा तो मोक्ष में जाएगा'। 1951 में उससे कहा था तो आज तक किसी के साथ टकराव में नहीं आया है। यदि मेरे इस एक ही वाक्य का पालन करेगा न कि 'किसी से टकराना मत', तो वह मोक्ष में जाएगा। क्या कहा? 'टकराव टालना', जल्दी मोक्ष में जाने का साधन प्रश्नकर्ता : किसी से टकराना मत। दादाश्री : 'टकराव टालना' इतने ही शब्द, इतना ही कहा था। प्रश्नकर्ता : दो ही शब्द, टकराव टालना। दादाश्री : ठेठ मोक्ष में जाने तक की गारन्टी है मेरी। पहले स्थूल अर्थ समझ में आएगा, फिर सूक्ष्म समझ में आएगा, फिर सूक्ष्मतर समझ में आएगा, उसके बाद सूक्ष्मतम। सूक्ष्मतम कौन सा? तब उसने कहा, 'चंदू के साथ तन्मयता, ऐसा टकराव नहीं होने देना है'। क्या कहा? प्रश्नकर्ता : तन्मयाकार नहीं होने देना है। दादाश्री : यों खुद है तो आत्मा, तो फिर चंद्र से आपका टकराव ही हुआ न? यह उसका सूक्ष्मतम अर्थ है। अतः इन एक-एक वाक्यों में पूरे शास्त्र समाए हुए हैं। ये सारे जल्दी से मोक्ष में जाने के साधन दिए हैं। प्रश्नकर्ता : ठीक है। सही तरीके से पकड़ लें तो... दादाश्री : तो काम हो जाएगा। भतीजे का रोग निकालने के लिए मिला सुनहरा सूत्र वह तो भतीजे का रोग निकालते हुए मिला न मुझे। और कोई
SR No.034316
Book TitleGnani Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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