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________________ 322 ज्ञानी पुरुष (भाग-1) जान छुड़वाने के लिए लोगों ने भतीजे को चढ़ाया प्रश्नकर्ता : कुटुंब के किसी बहुत ही विचित्र प्रकृति वाले व्यक्ति से आपने किस प्रकार से व्यवहार किया? दादाश्री : हमारे एक भतीजे थे, वे क्या करते थे? जब गुस्सा आता था न तो पड़ोसी की भैंस के खूटे की रस्सी काट देते थे। उससे वह भैंस चली जाती थी। तब सभी पड़ोसी मन में चिढ़ते रहते थे और उन लोगों के कुछ कहने से पहले ही वह इतनी-इतनी गालियाँ देने लगता था। इसलिए फिर लोग उसे कुछ नहीं कहते थे। लोगों ने एक तरकीब ढूँढ निकाली कि आपके चाचा तो कॉन्ट्रैक्ट का इतना बड़ा काम करते हैं और आप घर पर बैठे हो? आप तो उनके भतीजे हो, आपको तो साफ-साफ कह देना चाहिए कि 'नौकरी-वौकरी नहीं करूँगा, आपको इसमें हिस्सा देना पड़ेगा'। तब उन्होंने कहा, 'मुझे वह काम नहीं आता है न! मैं क्या करूँगा वहाँ पर? कॉन्ट्रैक्ट का काम नहीं आता है न!' लोगों ने समझाया था कि तुझे इतना ही कहना है कि 'मुझे इसमें पार्टनर रखो'। उसे किसी ने ऐसा सिखा दिया तो उसके दिमाग़ में यह बात फिट हो गई। फिर यहाँ आकर वह बा की उपस्थिति में ही बैठ गया। उसने ऐसा नहीं कहा कि 'मैं आया हूँ। उसने कहा, 'हम आए हैं, हम यहीं पर खाना खाएँगे, दो-पाँच सालों तक, जब तक यहाँ रहेंगे, तब तक। हम बाद में दे देंगे'। ऐसा कहा। क्या कहा? प्रश्नकर्ता : बाद में दे देंगे। दादाश्री : इस तरह जैसे कि भोजनालय में पैसे नहीं देने हों? ऐसा भी कहा, सब कहा। तब फिर बा ने मुझसे कहा, 'अरे, यह लड़का ऐसा कह रहा है !' मैंने कहा, 'भले ही कहे, वह तो कहेगा'। हमें छान लेना है, अपने पास छलनी रखनी है! गेहूँ-गेहूँ रह जाएँगे, कंकर नीचे गिर जाएँगे। उसके बाद मुझसे कहा, 'मैं बाहर से आया हूँ। चाचा, मैं आया हूँ'। मैंने कहा, 'बहुत अच्छा हुआ। मेरे घर भतीजा आया तो मुझे बहुत आनंद हुआ'। मुझे सब मालूम था। फिर मुझसे कहा, 'कॉन्ट्रैक्ट में
SR No.034316
Book TitleGnani Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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