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________________ 300 ज्ञानी पुरुष (भाग-1) दादा के सख्त शब्द उतारें नशा प्रश्नकर्ता : दादा, आप भी उन लोगों से लड़ते होंगे न? दादाश्री : एक छत्तीस साल का बी.कॉम तक पढ़ा हुआ बड़ा ऑफिसर था, हमारे भतीजे का बेटा, तो मैं उसका दादा होता था। उस ज़माने में तो अगर कोई बी.कॉम तक पढ़ा हो तो बहुत बड़ा ऑफिसर माना जाता था। वह आकर मुझसे कहने लगा कि, 'दादाजी, मेरी मदर का देहांत हो गया है फिर भी मुझे अभी कहना पड़ रहा है कि वे बहुत पक्षपाती थीं'। यह ज्ञान होने के दो साल पहले की बात है। तब ज्ञान नहीं हुआ था और मुझे किसी भी बात का जवाब देने की प्रेक्टिस थी इसलिए फिर मैंने उसे कहा, 'तेरी माँ ने पक्षपात किया है वह बात तेरी दृष्टि से सही है भाई, लेकिन तेरी माता जी ने तेरे लिए क्या किया है, वह अब मैं बताता हूँ। तेरी माता जी ने नौ महीने तुझे पेट में रखा था और फिर अठारह साल तक पिल्ले की तरह तुम्हें अपने पीछे-पीछे घुमाया, तो आज क्या ऐसा है कि तेरी माँ खराब है और तेरी वाइफ अच्छी? अरे, वचन की तुलना करना नहीं आता तुझे? क्या पत्नी की बात ही सही है? गुरु (पत्नी) ने जैसा सिखाया वैसा सीख रहा है तू! नौ महीने तुझे पेट में रखने वाला कौन था, बता? इतने बड़े ऑफिसर को! और नौ महीने आराम किया उसका तूने किराया-विराया भी नहीं दिया उन्हें। उसके बाद कभी नहीं बोला। अरे, ऐसा कहीं बोलना चाहिए? ऐसा कैसा? माँ तो माँ ही कहलाएगी न!' लेकिन यह देखो न! कहता है, 'मेरी माँ ने पक्षपात किया,' ऐसा कभी कहना चाहिए? यदि किया हो फिर भी नहीं कहना चाहिए। मदर तो मदर है। आपको क्या लगता है? प्रश्नकर्ता : सही है। दादाश्री : उसके बाद उसने दोबारा कभी नहीं कहा। मेरे ये सख्त शब्द सुने न, तो उसकी दृष्टि बदल गई। फिर चार-पाँच बार मुझसे कहा, 'मेरी माँ ऐसी नहीं है'। वह तो पत्नी का नशा चढ़ गया था। पत्नी का नशा चढ़ जाए, तब फिर तो क्या हो सकता है ? और पत्नी के नशे में
SR No.034316
Book TitleGnani Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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