SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 212
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [5.2] पूर्व जन्म के संस्कार हुए जागृत, माता के 147 उतना मुझे नहीं काटा। आपके बिस्तर पर खटमल रखने पर भी अगर वे आपको नहीं काटें तो समझना कि 'उनके साथ का अपना हिसाब चुक गया है। __ ये खटमल बेचारे कितने समझदार हैं! ये हमारे ऊपर रेंगते हैं लेकिन काटते नहीं हैं क्योंकि जानते हैं कि ये मारेंगे नहीं। खाना खत्म हुआ और मेहमान आए प्रश्नकर्ता : आप जब बच्चे थे तब बा ने आपको समझाया। उसी प्रकार क्या ऐसा भी कुछ हुआ था कि बड़े होने के बाद आपने बा को समझाया हो? दादाश्री : हाँ, एक बार ऐसा हुआ था। उस समय मैं पच्चीसछब्बीस साल का था। तब एक बार हमारे घर पर ऐसा हुआ कि दोपहर के बारह-साढ़े बारह हो गए थे, तो ऐसे समय पर हम सब खाना खाने बैठे थे। घर में उन दिनों तीन ही लोग थे। मैं, मेरी वाइफ हीरा बा और बा। हम शहर में रहते थे, तो गाँव में से अक्सर हमारे यहाँ लोग आते ही रहते थे। तो ऐसे में कुछ ही देर बाद भादरण से तीन-चार मेहमान आ गए! दूसरे तीन-चार तो अलग लेकिन उनमें हमारे एक मामा थे, वे आते ही बोले कि 'भाँजे हम आए हैं, खाना खाएँगे'। अब, खाना खाने से पहले यदि चार लोग आए होते न, तो हम खाना रहने देते और दूसरा सरप्लस करके थोड़ी देर बाद साथ में बैठ जाते लेकिन यह तो हमारे खाना खाने के तुरंत बाद ही आए। अंदर पतीली में सब्जी, दाल-चावल वगैरह थोड़ा-थोड़ा बचा था, लगभग सब खत्म हो गया था। अब खाना हो चुका था तो पतीली में सिर्फ एक कटोरी दाल पड़ी थी। बाई ले जाए उतनी ही, चावल भी बस बाई ले जाए उतने ही बचे थे। हमने चार लोग (खुद तीन और चौथी काम वाली बाई) जितना ही बनाया था अगर और दो लोग आ जाते तो ज़्यादा बनाते। वर्ना शहर में तो इन लोगों का ज़्यादा बनाकर फेंकने का रिवाज़ ही नहीं है न? प्रश्नकर्ता : नहीं।
SR No.034316
Book TitleGnani Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy