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________________ 124 ज्ञानी पुरुष (भाग-1) 'मुझे मारेंगे'। ऐसे में साँप उन्हें काट लेता, लेकिन मेरी बा में कितना धीरज था! बहुत कोमल, इसलिए घबरा जाती थीं प्रश्नकर्ता : आपने कहा कि बा बहुत कोमल थीं तो वह क्या है? दादाश्री : यह हमारी बा तो बहुत ही कोमल थीं तो इसलिए वे जल्दी से घबरा जाती थीं (शेरडो पड़े)। अगर कोई पुलिस वाला पूछ ले कि 'ये भाई यहाँ रहते हैं ?' तो तुरंत ही घबरा जातीं। अगर कोई व्यक्ति कोमल हो न, तो वह जल्दी से घबरा जाता है। शेरडो यानी कि घबरा जाना, इसलिए उन्हें सभी के प्रति ज़्यादा लागणी रहती है। संस्कार उच्च इसलिए बहू की बहू बनकर रहे प्रश्नकर्ता : दादा, सास के रूप में कैसी थीं बा? दादाश्री : बा के संस्कार बहुत उच्च थे। हाइ लेवल के संस्कार। ऐसी संस्कारी स्त्री मैंने नहीं देखी। बा उत्तर ध्रुव के और मेरी जो भाभी आई थीं वे दक्षिण ध्रुव, दोनों इकट्ठे हो गए। प्रश्नकर्ता : हाँ। दादाश्री : दोनों ध्रुव इकट्ठे हो गए। यानी मैंने तो यह भी देखा और वह भी देखा, मुझे तो दोनों का अनुभव हो गया। प्रश्नकर्ता : लेकिन क्या बा कुछ नहीं बोलते थे? दादाश्री : नहीं! कुछ भी नहीं। यह सब तो उन्होंने सहन कर लिया। प्रश्नकर्ता : बहुत सहनशीलता, ऐसी तो मैंने अभी तक किसी में नहीं देखी।
SR No.034316
Book TitleGnani Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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