________________ समाया सिद्धांत, आप्तवाणी में प्रश्नकर्ता : दादा, आपने आप्तवाणियों में तो सभी शास्त्र रख दिए हैं।। प्रत्येक प्रश्न का तुरंत समाधान मिल जाता है, स्वयंभू समाधान! दादाश्री : ऐसा तो शास्त्रों में भी नहीं है। आप्तवाणी में तो पूरा सिद्धांत रख दिया है। सिद्धांत अर्थात् अविरोधाभासी। यह ऐसा सिद्धांत है कि जहाँ से देखो वहाँ से टैली होता है (मेल खाता है)। अतः अपना यह अक्रम विज्ञान पूरा सैद्धांतिक है / जहाँ से पूछो वहाँ से सिद्धांत में ही परिणामित होता है क्योंकि यह स्वाभाविक ज्ञान है। कोई भी वस्तु एक बार ज्ञान में आ जाए तो वह फिर से अज्ञान में नहीं जाती, विरोधाभास उत्पन्न नहीं होता। हर एक के सिद्धांत को हेल्प कर-करके सिद्धांत आगे बढ़ता जाता है और किसी के भी सिद्धांत को तोड़ता नहीं है। पहले जो वीतराग हो। चके हैं. यह उन्हीं का सिद्धांत है।। आत्मविज्ञानी ‘ए. एम. पटेल' के भीतर प्रकट हुए दादा भगवानना असीम जय जयकार हो PHONam.sanila Printed in India Price Rs120 dadabhagwan.org