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(२.३) अवस्था के उदय व अस्त
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मिला हुआ है। गति सहायक, स्थिति सहायक, काल। सिर्फ चेतन मिला हुआ नहीं है। उसका सिर्फ प्रभाव है।
प्रश्नकर्ता : एक इन्द्रिय से पाँच इन्द्रिय, क्या सभी का पुद्गल पाँच वस्तुओं से बना हुआ है ?
दादाश्री : पाँच तत्त्वों से। राई के दाने में भी पाँच तत्त्व हैं, बाकी सब जो हैं, गेहूँ, चावल, सभी में पाँच तत्त्व हैं। जब आप इसे सुखाते हो तो वह आकाश तत्त्व चला जाता है इसलिए फिर वह टिकता है। कुछ भाग चला जाता है और ज़रा सा रहता है। पानी में भी अन्य पाँच तत्त्व हैं।
प्रश्नकर्ता : कौन-कौन से हैं, दादाजी? उनका अनुपात कितनाकितना होता है?
दादाश्री : पानी में पचास प्रतिशत पानी होता है और दूसरे पचास प्रतिशत में बाकी के सब तत्त्व हैं।
प्रश्नकर्ता : उसका क्या कारण है दादा?
दादाश्री : वह पानी है इसलिए। मुख्य रूप से पानी अधिक है, बाकी के दूसरे तत्त्व हैं।
प्रश्नकर्ता : हर एक में अलग-अलग होता है ?
दादाश्री : अनाज में पृथ्वी होती है पचास प्रतिशत और बाकी के पचास प्रतिशत सब मिलाकर हैं।
प्रश्नकर्ता : और हम लोगों में?
दादाश्री : हम लोगों में भी ऐसा ही है। ज़रा कम-ज्यादा हो सकता है। पचास प्रतिशत नहीं है। सभी एक सरीखे नहीं होते यानी कि कम-ज़्यादा होते हैं।
प्रश्नकर्ता : दादा, ये जो पाँच तत्त्व हैं न, इनमें यह जो ज़मीन है, जो स्थूल वस्तु रखी गई है, उसके पचास प्रतिशत रखे गए हैं। बाकी के चारों के साड़े बारह प्रतिशत। तेज, वायु, आकाश, अग्नि, ऐसा है ?