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________________ (१.३) विभाव अर्थात् विरुद्ध भाव? ३७ उदाहरण होगा तो समझ में आएगा न! समझा दिया न? तो इस प्रकार तीसरा गुण उत्पन्न हो गया है। प्रश्नकर्ता : तब तो फिर ऐसा हुआ न, पत्थर ने सूर्य का गुण ग्रहण कर लिया। तीसरा गुण नहीं हुआ न? दादाश्री : नहीं, पत्थर सूर्य का गुण ग्रहण नहीं करता। उस पर असर होता है, सूर्य का इफेक्ट होता है। उसका खुद का स्वभाव तो ठंडा ही है लेकिन ऐसा असर हो जाता है। प्रश्नकर्ता : तो यह गर्मी और ठंड, वह वातावरण का असर है ? दादाश्री : साइन्टिफिक सरकमस्टेन्शियल एविडेन्स है। सूर्य की रेज़ (किरणें) के ज़मीन से टच होने पर गर्मी उत्पन्न होती है। थोड़ा-बहुत बुद्धि में उतर रहा है या नहीं? प्रेरणा इसमें पावर की सूर्य की उपस्थिति में यहाँ पर कोई चीज़ रखी हो तो ऊर्जा उत्पन्न होगी या नहीं? प्रश्नकर्ता : होगी। दादाश्री : उसमें वह खुद कर्ता नहीं है। इन दोनों चीज़ों के मिलने पर ऊर्जा उत्पन्न होती है। उसी प्रकार यह उत्पन्न हो गया है। अब यह समझ में फिट कैसे होगा? इंसान को किस तरह से सेट होगा? कहेगा, 'किसी के किए बगैर कैसे हो सकता है?' यह समझ में फिट नहीं होगा न? प्रश्नकर्ता : नहीं होगा। दादाश्री : और जो प्रेरणा है, वह प्रेरणा किसकी है? पावर की प्रेरणा है। यह चेतन की नहीं है। यदि चेतन की प्रेरणा होती तो चेतन बंध जाता। अतः इसे समझना बहुत आसान नहीं है, बहुत मुश्किल है। इसीलिए
SR No.034306
Book TitleAptavani 14 Part 1 Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages352
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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