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________________ 26 वादिराजतीर्थविरचितलक्षाभरणेत्यष्टटीकोपेतं * विपुलपाठ- मूल्यं मार्गव्ययः मेदसहितं च / मू. 8. ... ... ... 3-8-0 0-6-0 चन्द्रकान्त Chandrakanta (Hindi) (वेदान्त ज्ञानका मुखग्रन्थ) प्रथम भाग. यह वह ग्रन्थ है कि, जो नितान्त निर्धान्त वेदान्त सिद्धान्तका एकांत प्रतिपादक "चन्द्रकान्त" मणि बम्बई प्रान्तके प्रसिद्ध साप्ताहिक 'गुजराती' पत्रके मुख्य-आद्य संपादक गुजराती भाषाके सुविख्यात लेखक, अनेक ग्रन्थोंके निर्माता देशभक्तधुरीण, सारासारविवेकप्रवीण, वैश्यकुलभूषण श्रीमान् शेठ इच्छाराम सूर्यराम देसाईके शुद्ध हृदयमें दैदीप्यमान प्रबोधरत्नभाण्डागारका चमचमाता हुआ एक अमूल्य रत्न है.. कि. 6. ... ... ... ... 2-8-0 0-4-0 27 युक्तिप्रकाश-Yukti Prakasha(Hi ndi) विचारसागरका कर्ता साधु श्रीनिश्चलदासजीने किया हुआ यह ग्रन्थ हिन्दुस्तानी भाषामें है. इसमें वेदान्तका 39 सिद्धान्त बहुत अच्छीतरहसे सिद्ध किये गये है. निश्चलदासकी वाणी सब जिज्ञासुलो. कोंको ज्ञात होनेसे विशेष निरूपणकी कुछ जरूरत है नहीं. और जिज्ञासुलोकोंको ये ग्रन्थ बहुत उपयुक्त है. . पक्की जिल्द और अच्छा कागज. ... ... 1-0-0 0-2-. नोध-ही. पी. खरच जूदा पडेगा. 'गुजराती ' मुद्रणालयाधिपतिः / कोट सर्कल सासून बिल्डिंग-मुंबई.
SR No.034266
Book TitleVadarth Sangraha Part 03 Vad Sudhakar Laghu Vibhaktyartha Nirnay Shabdabodh Prakashika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahadev Gangadhar Bakre
PublisherGujarati Printing Press
Publication Year1915
Total Pages122
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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