________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
६६
परदेशी राजाकी चौपाइ ।
४० ॥ ले जाउँ हम नेटणो, जितशत्रु ने सौंप । तहत बचन चित मानियो, स्नान ध्यान करि चोप ॥४१॥ हुकम कियो सेवक नणी, रथसजि कियो तयार। रथ चढ़ीने चित चालियो, सङ्ग सुजट परिवार ॥ ४२ ॥ सुख समाधे चालतो, आयो सावथि माहि । बेग उतर रथसों तिहां, बेटण नृपना पाय ॥ ५३॥ ले मोटो नेटणो, मेट्यो नृपने पास। रायप्रदेशी कहि जिका, सरव बात प्रकाश ॥ ४ ॥ सुनि राजा हरषित हुवो, चित्तने मेरो दीध । सातनंम आकाश में, जतरो सुखमे लीन ॥ ४५ ॥ लोग पञ्च इन्त्री तणा बिचरे नोगत एम । एकमना थकी सांजलो, जिन धर्म पामे केम ॥ ४६ ॥ ( ढाल २) तिण अवसर पास संतानिया जी, केशी समण कुमार । गुण झानी देवै आप घरण व्यारे, पांचसै परिवार ॥ जलाइ पधास्या हो पास संतानिया जी0 ४७) टेक ॥ बिनय ज्ञान सहित चारित्र जलो जी, थानों प्रवचन माय । लज्याने मरजादा आचार नी जी, हलवा अव्यने नाव ॥ ज०४७ ॥ मन बच काया नो तेज बे जी, घणो जस सोजाग ।
For Private and Personal Use Only