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पम्दशी गानाकी चैपाइ।
श्रदत्त । लेइ मंग सन्तोषने जी, बांध्यो राजनो सुत हो ॥ गोपू०३२ ॥ चारि बुद्धि करि दीपतों जी, घणी अधिक उतपात । अणदिनी अणसांनली जी, श्राण मिलावे बात हो ॥ गो० पू०३३ बिनय कर्म परनाम की जी, चारू बुद्धिने जोग गाम नगर परि सिद्धि घणो जी, माने राजा लोग हो । गो० पू०३४ ॥ राय परदेशी के घणो जी, कारण चितनो जोर । घणो पूनिया जोग बे जी, पूले बारम्बार हो ॥ गो० पू० ३५ ॥ राज नगरने लोकमे जी, मेढ़ी नेत्र समान। आधार जुत बाल. म्वणो जी, न्यायवन्त अनिराम हो ॥गो पू०३६ जुप तणी श्राझा थकी जी, अन्तेवर मे जाय । अति प्रतीति संका नहि जी, बहु मन मांही सुहाय हो ॥ गोपू०३५ ॥ परदेशी राजा तणों जी, अन्तेवास कहाय । देश कुणाला सावथी जी' जितसत्रु तिहां राय हो ॥ गो० पू० ३० ॥ सावथी नगरी तणो जी, कोष्टक ने ज्यान । पत्र फूल फल सोजतो जो, बरनन मोट मान हो ॥ गो० पू०३ए दोहा ) परदेशी तिण अवसरे, चित प्रधान ने तेड़ । जाजं नगरी साव थी, जितशत्रु नृप केड़
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