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१९४ कर विहार कर गये. उस नव दिक्षित साधुको उत्थापन बडी दीक्षा अन्य आचार्यादि देवे इसी अपेक्षा समझना. (१२) च्यार प्रकारके आचार्य होते है- . [१] उपदेश करते है, परन्तु वाचना नहीं देते है. [२] वाचना देते है, किन्तु उपदेश नहीं करते है. [३] दोनों करते है. [४] दोनों नहीं करते है.
भावार्थ-एक आचार्य उपदेश कर दे कि-अमुक साधुको अमुक आगमकी वाचना देना वह वाचना उपाध्यायजी देवे. कोइ आचार्य ऐसे भी होते है कि आप खुद अपने शिष्य समु. दायको वाचना देवे. (१३) धर्माचार्य महाराजके च्यार अन्तेवासी शिष्य होते है[१] दीक्षा दीया हुवा शिष्य पासमें रहै, परन्तु उत्था
पन कीया हुवा शिष्य पास में नहीं मिले. [२] उत्थापनवाला मिले, परन्तु दीक्षावाला नहीं मिले. [३] दोनों पास में रहै. [2 ] दोनों पासमें नहीं मिले.
भावार्थ-आचार्य महाराज अपने हाथसे लघु दीक्षा दी, उसको वडी दीक्षा किसी अन्य आचार्य ने दी. वह शिष्य अपने पासमें है. और अपने हाथसे उत्थापन (बडी दीक्षा ) दी, वह साधु दुसरे गणविच्छेदक के पास है. तथा लघु दीक्षावाला अन्य साधुवोंके पास है, आपके पास सब वडी दीक्षावाले है.
(१४) आचार्य महाराजके पास च्यार प्रकारके शिष्य रहते है