________________
. (२२) तया उदिरणा करके वीपासे या प्रदेशसे कर्म भोगवते है इस . बास्ते "ज जे भगवया दीट्ठा तं तं परिणमस्सन्ति
(५०) हे मगवान ! भूत भविष्य वर्तमान इन तीनों काल में जीव और पद्छ सास्वता कहा जाते है।
(उ०) हां गौतम जोव पुद्गल स्कन्ध सदेव सास्ता है।
(१०) हे दयाल । भूतकालमें, छद्मस्त जीव केवल (सम्पूर्ण) संयम, संबर, ब्रह्मचार्य प्रवचन पालके जीव सिद्ध हुवा है। :: ___(उ.) नही हुवे । कारण यह कार्य उमस्तं वीतरागके मी नहीं हो सक्ते है परन्तु अंतिम भवो अन्तिम शरीरी होते है उन्होंकों प्रथम केवल ज्ञान केवल दर्शन उत्पन्न होते है फोर वह भीव सिद्ध होते है यह वात मी जो अरिहंत अपने केवल ज्ञानसे जानते है देखते है कि यह जीव चरम शरीरी इस भवमें केवल ज्ञान प्राप्त कर मोक्ष जावेगा । इति शम् । सेवं भंते सेवं भंते तमेव सच्चम् । ...
थोकडा नम्बर ६. सूत्र श्री भगवतीजी शतक २ उदेशा६
(प्र) हे भगवान । उदय होता सूर्य जितने दूरसे. द्रष्टोगौचर होता है इतना ही अस्त होता सूर्य द्रष्टीगोचर होता है ? .. ___(उ) हां गौतम ! उदय तथा अस्त होता सूर्य बराबर द्रष्टो. गोचर होते है कारण सूर्यकि उत्कृष्ट गति क शक्रान्त उदय ४७२६३-३ इतने योजनसे उदय होता द्रष्टीगौचर होता है ४७२६३= इतने योनन सूर्य अस्त समय भी द्रष्टीगौचर होता