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भविष्य कालके समय ग्रहन करते है ? भूत कालका समय नष्ट हो गया । भविष्य कालका समब अब भावेगा वास्ते भूत भविष्य निरर्थ होनेसे वर्तमान समयमें ग्रहन करते है।
(३५) नारकिके नैरिये तेजस कारमाण पणे जो पुद्गलोंकि उदीरणा करते हैं वह भूतकालके समयमें ग्रहन किये पुद्गलोंकि उदीरणा करते है परन्तु वर्तमान तथा भविष्य समयकि उदीरणा नही करते है कारण वर्तमानमे तो ग्रहन किया है उसकि उदीरणा नही होती है । भविष्यका समय अबी तक माया मी नहीं है वास्ते उदीरणा भूतकालकि होती है (३१) एवं वेदना (३७) एवं निन्नरा यह तीनों भूतकाल समय अपेक्षा है।
(१८) नारकिके नैरिये कर्मबन्धते है वह क्या चलीत कर्मोको बन्धते हैं या अचलीत कर्मोको बन्धते हैं ? चलीत कोकों नहीं बंधले है कारण आत्मप्रदेशोंसे चलीत हुवे है वह कर्म वेदके निजरा करणे योग्य है इसी वास्ते चलीत कर्म नहीं बांधे किंतु अचलीत कोकों बन्धते है एवं (३९) उदीरणा (१०) वेदना (४१) अपवर्तन (४२) संक्रमण (४३) निधस (४४) निकाचीत यह सब मचलीत कर्मोके होते है। ____ (४५) हे भगवान् । नारकि काँकि निजरा करते है वह क्या चलीत कर्मोकि करते है या अचलीत कमोकि करते है ।
. (उ) हे गौतम नारकि जो कर्मोकि निजरा करते है वह चलीत कोकि करते है किंतु अचलीत काँकि निजरा नही होती है । भावार्थ आत्मपदेशों में स्थित रहे हुवे कर्मोकि निर्जरा नहीं हुवे परन्तु आत्म पदेशोंसे कम प्रदेश स्थिति पूर्णकर चलीत