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शेष १९ द्वार एकेंद्रिय महायुम्मावत समझना शेष १५ महायुम्मा भी इसी माफीक परन्तु परिमाण अपना अपना कहना इति ३६-१
(२) दुसरा प्रथम समयके उदेशामें नाणन्ता ११ है यथा(१) अवगाहाना न• अंगु० असं० माग । (२) आयुष्य कर्मका अनन्धक है (३) आयुष्यकर्म उदिरणा मी नहीं है (५) उश्वास निश्वासगा भी नही है (१) सात कोका बन्धक है परन्तु आठका नही (६) अनुबन्ध ज० उ० एक समयका (७) स्पिति न० उ. एक समयकि (८) समुद्धात-दोय. वेदनिय कषाय (९) योग-एक कायाक है (१०) मरण नही (११) चान नहीं है।
शेष २१ द्वार पूर्वोक्त ही समझना एवं १६ महायुम्मा इति ३६-३ इसी माफीक अपमादि सर्व ११ उदेशा होते है १-३५ यह तीन उदेशा सादृश है शेष ८ उमेशा साइश है परन्तु ४-६-८-१• इस च्यार उदेशों में ज्ञान और समकित नहीं है। इति छतीसवा शतकका अन्तर शतकके इग्यारा उदेशा समाप्तम् ।
(२) इसीमाफीक कृष्णलेशी बेन्द्रियका ग्यारा उदेशा संयुक्त दुसरा भन्तर शतक है परन्तु लेश्या तीनके स्थान एक कृष्णा लेशा है. अनुबन्ध पौस्पिति न० ऐकसमय उ० अन्तर