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... (९) लिंग-परिहार विभुदि द्रव्ये और मावे स्वलिंगी; शेष च्चार संयम द्रव्यापेक्षा स्वलिंगी अन्याहंगी होते है। मावे स्वलिंगी होते इतिद्वारम् ।
... (१०) शरीर-सामा० छदो० शरीर ३-४-५ होते है शेष तीन संयममें शरीर तीन होते है वह वैक्रय आहारीक नहीं करते है द्वारम् ।
(११) क्षेत्र-जन्मापेक्षा सामा० सूक्ष्म संपराय, यथाख्यात, पन्दरा कर्म भूमिमें होते है। छदो० परि० पांच भरत पांच हार मरत एवं दश क्षेत्रों में होते है । साहारणपेक्षा परिहार० का साहारण नहीं होते है शेष च्यार संयम कर्मभूमि अकर्मभूमिमें मी मीदते है इतिद्वारम् ।
(१२) काल-सामा० जन्मापेक्षा अवसर्पिणि कालमें ३-४-५ आरे जन्मे और ३-४-५ ारे प्रवृते । उत्सपिणि कालमें २-३-४ आरे जन्मे ३-४ आरे प्रवृते । नोसपिणि नोउत्सपिणि चोथे पळीमाग (महाविदहे)में होवे । साहारणापेक्षा अन्यपली माग ( ३० अकर्मभूमि )में मी मील सके । एवं छदो० परन्तु जन्म प्रवृतन तथा सर्पिणि उत्सपिणि विदेहक्षेत्रमें न हुवे, साहारणापेक्षा सब क्षेत्रोंमें मीले । परिहार० अवसपिणि कालमें ३..४ आरे जन्में प्रवृते उत्सर्पिणी कालमें २.३.४ आरे जन्मे ३.४ आरे प्रवृते। सुक्ष्म० यथारूयात अवसर्पिणिकाले ३-४ आरे जन्मे ३.४ आरेप्रवृते । उत्सपिणिकालमें २-३-४ मारे जन्मे ३-४ आरे प्रवृते । नो सपिणिनो उत्सपिणि चोथापली मागमें मी मीले साहारणापेक्षा अन्य पली मागमें भी लाधे इति द्वारम् ।