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(२) एगठिपा-निंब, नंदु, कोसंब, पीलु, इत्यादि जीसके फलमें एक गुठली हो एसे वृक्षोंके वर्गका दश उदेशा निर्विशेष प्रथम वर्गवत् समझना इति एगठिय वर्गके दश उदेशा । समाप्तं ।
(३) बहुवीजा-आगस्थियाके वृक्ष, तंडुवृक्ष कविट आम्बाण इत्यादि वृक्षोंका वर्गके दश उदेशा ताल वर्गके साहश समझना इति तीसरा वर्ग० स०।
(४) गुच्छा-वेगण, मलाइ, गन, पडलादि गुच्छा वर्गके दश उदेशा निर्विशेष वास वर्गकि म फोक समझना इति गुच्छा वर्ग समाप्तं ।
(५) गुल्म-नौ मलति सरिका क्रणव नालिका आदिका वर्गके देश उदेशा निर्विशेष शाली वर्गकि माफोक समझना इति गुल्म वर्ग समाप्तम् ।
(६) वेलि-पू१फली, कालिंगो तुबी तउसी एला बालुकि अदि वेलिवर्गके दश उदेशा तालवर्गकि माफीक परन्तु फल उदेशे भवगाहाना उ० प्रत्यक धनुष्यकि है और स्पिति सब उदेशे उ. प्रत्यक वर्षकि है इति वेलिार्ग समाप्तं । ___ यहां छे वर्गके साठ उदेशा है प्रत्यक उदेशे पत्तीस बत्तीस द्वार उतारणा चाहिये वह आम्नाय शालीवर्गमें लिखी गई है सिवाय खास तफावतकि बातों यहांपर दर्शाई है वास्ते स्व उपयोगसे विचा. रणा चाहिये।
इति बावीसवां शतक छे वर्ग साठ उद्देशा समाप्तं ।
से भंते सेवं भंते तमेव सच्चम् ।