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- (९) गमें, पूर्ववत परंतु भव ज० उ० दोय काल न. तीन पल्यो० कोडपूर्व एवं उत्कृष्ट भी समझना । असंख्याते वर्षका मनुष्य देवतोंमें जाते हैं। वास्ते यह नहीं काहा है।
दश मुवनपति अंतर ज्योतीषी सौ धर्म देवलोकसे यावत् सहस्त्रदेव लोक तकके देवता चवके तीर्यच पांचेन्द्रियमें ज० अंतर महुर्त उ० कोडपूर्वकि स्थिति उत्पन्न होते है । जीनोकि ऋद्धि जेसे असुर कुमारके देव पृथ्वीकायमें उत्पन्न समय कही थी इसी माफीक समझना, भव तथा काल नौ गमा हारे कहते है। भव नौ गमामें ज० दोय उ० आठ आल । (१) गमें १०००० वर्ष अन्तर० उ०१ सागरों० सा० ४ कोड. (२) गमें , . , , ४० हजार वर्ष ४ अन्तर. (३) गमें , १ कोड० , ४ सा० सा० कोड. (४) गमें , अन्तर० , ४० हजार० ४ कोड० (५) गर्म , , ,४० , ४ अंतर (६) गमें , कोडपूर्व ,, , ४ कोड० (७) गमें सा० सा० अन्तर , ४ सा० सा० ४ कोड० (८) गर्भ ,
, ४ सा० सा० ४ अंतर० (९) गमें , कोडपूर्व , ४ सा० सा० ४ कोड. - यह असुरकुमार और दीर्यचके नौ गमा कहा है इसी माफीक अपनी अपनि स्थितिमें तीर्थंच पांचेन्द्रियकि स्थितिसे गमा भगा देना ऋद्धिमें अवगाहाना तथा लेश्या और स्थिति अनु. कप अपने अपने हो सो कहेना यह सब लघुदंडकवार्लोको सुगम पास्ते नहीं लिखा है स्वउपयोग कहना इति २४-२० ।
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