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(५८) (१) गमें एवीबत, भव ज. दोय उ. माठ काल ज. दोग अंतरमहुर्त उ• च्यार कोडपूर्व और च्यार अंतरमहुन । .
(६) गर्ने चोधावत् काल उ• आठ अन्तरमहुर्त । .. . () गमे चोथावत् काल ज. कोडपूर्व मन्तरमहुर्त उ० च्यार कोडपूर्व च्यार अन्तरमहुर्त ।
(७) गमें पृथ्वीवत् भव ज० उ० दोयमव काल न० कोड. पूर्व अन्तरमहुर्त उ० परयोपमके असंख्यातमें भाग और कोडपूर्वा ... (८) गमें पृथ्वीवत् भव ज. दोय उ० आठ, काल कोडपूर्व अन्तरमहुर्त उ० च्यार कोडपूर्व और च्यार अन्तरमहुर्त । .
(९) गमें भव ज० उ० दोय काल ज० पल्यो पमके असंख्याते भाग और कोडपूर्व एवं उत्कृष्ट । शेष ऋडि समुच्चयवत् ।
संज्ञी तीयंच पांचेन्द्रिय संख्याते वर्षवाला जो तीर्यच पाचे. न्द्रियमें ज० अन्तरमहुर्त उ० तीन पत्योपमकि स्थितिमें उत्पन्न होता है, कारण न० स्थिति कर्मभूमिमें और उत्कृष्ट स्थिति युगलीयोंकि समझना । ऋद्धिके २० द्वार जेसे संख्याता वर्षवाला संज्ञी तीर्यच पांचेन्द्रिय रत्नप्रभा नरकमें उत्पन्न होते समय कही है इसी माफीक समझना । और नौ गमा इस माफोक । ... (१) गमें भव ज० दोयभव उ० दोयभव काल ज० दोय
अन्तरमहुर्त उ० तीन पल्योपम और कोडपूर्व परन्तु अवगाहाना ज० अंगुलके असंख्यातमें भाग उ० १००० जोजनकि । ... (२) दुजे गमें भव ज. दोय उ० आठ काल न• दोय अन्तरमहुर्त उ० च्यार कोडपूर्व और च्यार अन्तरमहुर्त ।