________________
( ५७ )
२० द्वार अपने अपने स्थानसे और नौ गमा अपने अपने कालसे लगा लेना, टथिव्यादिके स्थान में प्रथम तीर्थच पांचेद्रिय गमा था इसी माफीक यहा भि समझ लेना ।
तीर्यच पांचेद्रियका दंडक एक है परन्तु इस्में (१) संज्ञी तीच पांचेद्रिय (२) असंज्ञी तीर्थंच पांचेद्रिय, जिसमे भि संज्ञी तीच पांचेद्रियका दोय भेद है (१) संख्याते वर्षवाले (कर्मभूमि) (२) असंख्याते वर्षवाले युगलींया | यहांपर वीसवादंडक समुच्च तीच पांचेद्रियका चल रहा है जिस्मे व्यारों भेद समझ लेना, संज्ञी, असंज्ञी, कर्मभूमि, अकर्मभूमि
असंज्ञी तोच पांचेन्द्रिय मरके तीर्थंच पांचेन्द्रियके दंडकमें म० अन्तरमहुर्त उ० पल्योपमके असंख्यातमें भागकि स्थितिमें . उत्पन्न होता है। ऋद्धिके २० द्वार जैसे पृथ्वीका में उत्पन्न समय 'हा था इसी माफीक सझना । भवापेक्षा ज० दोय भव० उ० क्षेयभव • कालापेक्षा ज़० दोय अन्तरमहुर्त उ० पल्योपमके असंस्वातमें भाग और कोडपूर्व जिसके गमा नौ इस मुजब ।
(१) गमे भव ज० दोय० उ० २ काल ज० दोय अन्तरमहुर्त, उ० पल्यो ० असं ० भाग और कोडपूर्व.
(२) गमे-भव ज० दोय० उ० ८ काल ज० दोय अन्तर उ० च्यार कोडपूर्व और प्यार अंतरमहुर्त ।
. (३) गमे - परिमाणादि रत्नप्रभावत् भव ज० उ० २ काल ज० पल्यो ० असं० भाग अन्तरमहुर्त, उ० पस्योपमके असंख्यातमें भाग और कोडपूर्व अधिक ।